Wednesday, 8 April 2015

CRIMINAL LAW (AMENDMENT) ACT 2013 and CRIMINAL LAW (AMENDMENT) ACT 2014 (BILL)





क्या आप भारतीय 'पुरुष' है ? 
       क्या आप भारतीय 'पति ' है ?
                क्या आप पंद्रह  वर्ष से अधिक आयु को प्राप्त ,  भारतीय 'किशोर ' या  ' विद्यार्थी ' है ? 


     भारतीय पुरुषों , पतियों तथा पंद्रह वर्ष से अधिक आयु के सभी भारतीय किशोर एवं विद्यार्थियों के सामाजिक एवं न्यायिक अधिकारों को पुनः स्थापित करने हेतु ___
समस्त भारतीय नागरिकों का भव्य शक्ति प्रदर्शन !


            राष्ट्रीय पुरुष आयोग क्रांति !  __National Commission for Men.

                                                            

      भारत देश के लिए यह गर्व की बात प्रतीत होती है के CRIMINAL LAW (AMENDMENT) ACT , 2013 के अंतर्गत देश के महिला वर्ग को बेहतरीन सशक्तिकरण प्रदान किया गया, किन्तु यह भी उतना ही कड़वा सच है के इस नए कानून की गठन प्रक्रिया में महिलाओं को सशक्तिकरण प्रदान करने हेतु भारत के समस्त पुरुष वर्ग के न्याय पाने जैसे मौलिक अधिकारों और निर्धारित मानदंडों की अवहेलना की गयी। देश के पुरुष वर्ग पर इसका विपरीत और सामाजिक असंतोषयुक्त परिणाम दिखाई दे रहा है।


      हमारी मांग यह कदापि नहीं है के इस नए यौन सम्बंधित कानून द्वारा दी गई महिलाओं की सुरक्षा किसी भी रूप में कम की जाए, अपितु हमारी मांग यह अवश्य है के महिलाओं की तरह पुरुषों को भी सशक्त कानूनी सुरक्षा प्राप्त होनी ही चाहिए !


    देश के समस्त भाई और बहने यह जानते है, के दिल्ली के १६ दिसम्बर २०१२ को "निर्भया" प्रकरण के रूप में जो बेहद ही संवेदनशील घटना सामने आयी उस समय इस घटना से राजनीतिक लाभ उठाने के लिए दिल्ली में समकालीन विपक्षी BJP और आम आदमी पार्टी के नेतृत्व में उग्र आंदोलन चलाए गए जिसमे हज़ारों कि संख्या में लोग सुरक्षा बलों से भीड़ पड़े। लगभग इसी तरह के विरोध विपक्षियों द्वारा देश के हर शहर में दर्ज हुए। विपक्षियों के द्वारा किया गया यह कार्य देश के संविधान के विरुद्ध साबित हुआ क्योंकि देश के कानून को जिस संसद के द्वारा स्थापित रखा जाता है, उसी संसद के सामने किये गए उग्र आंदोलनो के चलते कांग्रेस के UPA गठबंधन वाली वर्त्तमान सरकार को विवश होना पड़ा और आम आदमी पार्टी तथा बीजेपी जैसे विपक्षि दलों के आंदोलन कारियों के दबाव में महज साढ़े तीन महीनो कि कालावधि में लगभग घुटनों पर गिरकर इस नए यौन सम्बंधित कानून को लागु करना पड़ा।

      किसी भी देश की ताकत उस देश के युवा वर्ग से आँकी जाती है, देश के लिए मर मिटने का जज्बा अक्सर एक युवा में ही पाया जाता है। हमारे देश के नौजवानों की इसी युवा शक्ति को मिटाने के मक़सद से विदेशी ताकतों के साथ मिल कर बीजेपी और आम आदमी पार्टी द्वारा अपने षडयंत्रकारी उग्र आंदोलनों के जरिये यूपीए सरकार पर दबाव कि राजनीती का ईस्तेमाल करते हुए , हमारे भारत देश में इस त्रुटी युक्त नए यौन सम्बंधित कानून को लागु करवाया गया है।


  क्या आप जानते है ? आपके आज और आने वाले कल पर,          

          इस नए संशोधित यौन सम्बंधित कानून का क्या असर होने वाला है ?

    भारत के समस्त नागरिक जानते है के कानून के आँखों पर पट्टी बंधी होती है, किन्तु वह इस लिए नहीं के कानून अँधा होता है, बल्कि इस लिए के कानून न्याय करते वख्त किसी गरीब- अमीर, जनता-नेता, छोटा-बड़ा या स्त्री- पुरुष इन सभी में भेद-भाव नहीं करता। किन्तु CRIMINAL LAW ( AMENDMENT) ACT,2013 के इस नए यौन सम्बंधित कानून में स्त्री और पुरुष मे भेद भाव (Gender Discrimination) रखा गया है जिससे अन्तर्गत अब से आगे अदालतों में यौन सम्बंधित अपराधों में सिर्फ और सिर्फ पुरुष पर ही अपराध सिद्ध किया जा सकेगा, और किसी भी स्त्री पर ऐसा कोई मुकद्दमा चलाया नहीं जा सकेगा। ( इससे यही साबित होता है के इस नए कानून के अंतर्गत भारत के हर पुरुष के लिए उपलब्ध न्याय पाने का मुलभुत अधिकार उससे छीन लिया गया है। )
  •  नए कानून की धारा 375 - C  के अंतर्गत , अब से यौन हमला ( Sexual assault ) करने वाले  पुरुष को  बलात्कार जैसे जघन्य अपराध  कि सजा सुनाई जाएगी। (  हमारे देश की आदर्श दंड संहिता यही कहती है के हमेशा अपराधी को उसके अपराध के परिमाण में  ही सजा मिलनी चाहिए। यह तो बिलकुल ऐसा हुआ जैसे खून करने कि कोशिश करने वाले को फाँसी कि सजा सुना  दी जाए । क्या यह  समस्त भारत के पुरुषों के मानव अधिकारों का हनन नहीं है ? )
  • इस नए कानून की अधिकतम  धाराओं में तो, आरोपी को  जमानत तक नहीं मिल सकती, जिसकी वजह से आरोपी को अपने आप को निर्दोष साबित करने के लिए पूरी कोशिश करने का मौका तक नहीं मिल सकेगा। अगर यह सच है के आरोप साबित होने तक आरोपी को अपराधी नहीं कहा जा सकता तो इस  नए यौन सम्बंधित कानून के तहत आरोप लगते ही भारतीय पुरुष को अपराधी की तरह जेल में डालना, क्या यह पुरष वर्ग के ( Right to Justice ) न्याय पाने के अधिकारों के साथ खिलवाड़ नहीं है ? 
  •  सबूतों के लिए  संशोधित  नए कानून की धारा 53 A  के अंतर्गत शिकायत कर्ता  स्त्री के  चरित्र का प्रमाण या  शिकायत कर्ता स्त्री  के किसी व्यक्ति के साथ, गतकाल के यौन सम्बंधित अनुभवों को, उस शिकायत कर्ता स्त्री  के खिलाफ सबूत के तौर पर नहीं माना जायेगा। ( इस बात को कदापि  झुटलाया नहीं जा सकता है के दुनिया में चरित्रहीन स्त्रियों का भी अस्तित्व है, ऐसे में ऐसी ही कोई चरित्रहीन स्त्री, जो किसी पुरुषसे बदले कि भावना रखती हो, या ऐसीही किसी चरित्रहीन  स्त्री को साधन बनाकर, कोई अन्य व्यक्ति या किसी राजनितिक दल  द्वारा भारत के  किसी भी संभ्रान्त निरपराधी पुरुष पर कभी भी दोष मढ़ा जा सकता है जिससे के उस निरपराधी पुरुष का शेष जीवन सुनिश्चित तरीके से  कारावास की भेट चढ़ जायेगा। क्या यह भारत के समस्त पुरुषों के प्रति  कानून का दुरुपयोग नहीं है ? )     
  •  सबूतों के लिए संशोधित  नए कानून की धारा 114 A   के अंतर्गत बलात्कार के मुकद्दमें के दरम्यान अगर शिकायत कर्ता स्त्री की  सहमति होने न होने का प्रश्न उत्पन्न हो, ऐसे में यदि  शिकायत कर्ता  स्त्री कोर्ट के सामने, सबूतों के आधार  स्वरुप यह बताए के, उसकी  सहमति नहीं थी तो कोर्ट द्वारा मान लिया जाएगा के, पीड़ित कि सहमति नहीं थी। ( ऐसेमें आरोपी भले ही वास्तविक निरपराधी क्यों न हो, कोर्ट द्वारा उसे अपराधी करार दिया जाएगा  और उसे इस नए कानून के अंतर्गत कम से कम सात साल या उसके आखरी सास लेने तक का आजीवन कारावास दिया जा सकेगा।  तो क्या, इससे यह साबित नहीं होता के इस नए कानून के अंतर्गत, प्रत्यक्ष रूप में  कोर्ट के  माननीय जज  से दंड देनेका अधिकार छीन कर स्वयं शिकायत करता स्त्री के हाथों में सौप दिया गया हो ? ) 
  • अनादि काल से स्त्री और पुरुष सदैव एक दूसरे के पूरक रहे है। भूख, प्यास और नींद की ही तरह, लगभग दोनों में ही काम रुपी भावना एक सामान ही पाई जाती है और यौन अपराधों का मुख्य कारण है इस काम रुपी भावना का अविवेकपूर्ण और अनियंत्रित बर्ताव,  यह अवगुण पाये जाने की संभावना जितनी  पुरुषों में  है लगभग उतनीही संभावना स्त्रियों में भी होने को नकारा नहीं जा सकता, तो फिर,  इस यौन सम्बंधित नए कानून द्वारा सिर्फ स्त्री को ही पीड़ित और पुरष को ही दोषी कैसे  करार दिया जा सकता  है ? कहा गए, ( Gender Equality ) लिंग समानता का राग अलापने वाले ?
  • भारत के समस्त देशवासियों, ध्यान दीजिये, वर्तमान की बहुमतों वाली बीजेपी सरकारने, उनके हठवादी मनसूबों  को साकरने के लिए, २८ नवम्बर २०१४ को भारतीय  राज्यसभा में CRIMINAL LAW ( AMENDMENT) ACT, 2014  का  जो विधेयक प्रस्तुत किया है उस विधेयक के अनुसार भारतीय दंड संहिता के धारा 375 के  स्पष्टीकरण क्र. 2  के अंतर्गत प्रतिबन्ध में सम्मिलित किया जायेगा के " बशर्ते की एक स्त्री जो दोषी  के साथ, वैवाहिक या किसी और प्रकार से सम्बंधित हो, तो केवल इस तथ्य को आधार मान कर, यौन सम्बंधित गतिविधियों के लिए  स्वीकृति नहीं समझी जाएगी। " इस के उपरांत बलात्कार की धारा 375 के अपवाद क्र. 2 जिसमे यह  कहा गया है के "   एक आदमी का उसकी स्वयं की पत्नी जिसकी उम्र 15 साल से कम  न हो, के साथ किये गए यौन सम्भोग या यौन कर्म को  बलात्कार  नहीं माना जायेगा। " इस अपवाद को पूर्ण रूप से रद्द करने की मांग की गयी है।     
  • बीजेपी पर यह कहावत बिलकुल फिट बैठती है, "हाथी  के दाँत ! खाने वाले अलग और दिखाने वाले अलग." "अच्छे दिन आने वाले है" के चुनावी  प्रलोभन देने वाले खाने के दाँत आप सभी ने अच्छी तरह से देख लिए, आइये अब, बीजेपी की असलियत के रूप में खाने वाले दाँतों को देखिये,  बीजेपी की बहुमतों वाली सरकार ने, २८ नवम्बर २०१४ को भारतीय  राज्यसभा में लाए हुए  CRIMINAL LAW ( AMENDMENT) BILL, 2014 के प्रस्तावित विधेयक के अनुसार भारतीय दंड संहिता के धारा 376 B के सम्पूर्ण प्रावधान के एवज़  में निम्नलिखित प्रावधान को  सम्मिलित किया गया है, " बलात्कार के अपराध में सजा  निर्धारित करते समय, दोषी और शिकायत करता के बीच  वर्तमान या अतीत  में उनके वैवाहिक सम्बन्ध को, उचित सजा में न्यूनतर  आरोपण के रूप में  विचार  नहीं किया  जायेगा। 

अध्याय III
आपराधिक प्रणाली  संहिता, १९७३ के संशोधन में धारा 198B  को विलोपित ( omitted ) किया जाय।
विलोपन : "198B. यदि तथ्यों के आधार पर संतोषजनक रूप से प्रथम दर्शी यह पाया जाता है के आरोप, एक पत्नी द्वारा पति के विरुद्ध  लगाया या दर्ज किया गया हो तो, भारतीय दंड संहिता  के धारा 376B के अंतर्गत  दंडनीय अपराध के लिए  किसी भी न्यायालय द्वारा संज्ञान नहीं लिया जायेगा।"


आपराधिक प्रणालि  संहिता की  प्रारंभिक  अनुसूची के  शिर्षक " भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत अपराध " से  धारा 376 B  से सम्बंधित लेखा प्रविष्टियाँ विलोपित की जाय।

अर्थात २८ नवम्बर २०१४ को भारतीय  राज्यसभा में CRIMINAL LAW ( AMENDMENT) ACT, 2014 के प्रस्तावित विधेयक के अनुसार, अब से __


  •  एक आदमी का उसकी स्वयं की पत्नी के साथ बिना स्वकृति के  किये गए यौन सम्भोग या यौन कर्म को  बलात्कार  माना जायेगा।
  • पत्नी द्वारा उसके पति पर बलात्कार का अपराध  सिद्ध होने पर, सजा  निर्धारित करते समय, दोषी और शिकायत करता के बीच  वर्तमान या अतीत  में उनके वैवाहिक सम्बन्ध का विचार करते हुए, उचित सजा में किसी तरह की सजा में कमी या  कोई भी ढील नहीं बरती जाएगी। 
  • बलात्कार की धारा 375  के अंतर्गत दण्डनीय  अपराध के रूप में, अब एक पत्नी द्वारा पति के विरुद्ध लगाये या दर्ज किये गए  आरोप का संज्ञान भारतीय न्यायलय द्वारा लिया जा सकेगा, पत्नी द्वारा आरोप दर्ज होते  ही आरोपी पति को बिना जमानत के जेल में ठूँस  दिया जायेगा और  जिसके लिए कम  से कम  सात  की सजा, जिसे आजीवन कारावास  तक बढ़ाया जा सके, और साथ ही  जिसके लिए आर्थिक दंड वसूला जा सकेगा। 
          इन सभी पहलूओं पर अगर गौर किया जाये तो यही सामने आएगा  की इस नए कानून के अंतर्गत यदि एक बार किसी वास्तविक निरपराधी पुरुष, पर मुकद्दमा दर्ज किया जाये तो यह निश्चित है के ऐसा निर्दोष  आरोपी  अपना  सारा जीवन किसी जघन्य अपराधी के समान  सलाखों के पीछे तड़पते हुए बिताने पर मजबूर हो जायेगा।  इससे यही साबित होता है के इस नए कानून के अंतर्गत भारत के  हर पुरुष से  " Right  to  Justice  "( न्याय पाने का अधिकार ) जैसा मौलिक अधिकार छीन लिया गया है। 
               
               CRIMINAL LAW (AMENDMENT) ACT , 2013 के  नए कानून को लागू होकर  लगभग दो वर्ष हो चुके  है, किन्तु प्राप्त आंकड़ो के आधार पर यह सामने आ रहा है, के यौन सम्बंधित  अपराध कम होने के बजाय तकरीबन दुगुने हो गए है। न सिर्फ आम जनता, अपितु  बड़े बड़े ख्याति प्राप्त लोग इसमें फंस चुके है, जिनमे प्रमुख है, भारतके प्रसिद्ध सत्संगी संत श्री आसाराम बापू, स्टिंग ऑपरेशन के शिरोमणि, तहलका के श्री तरुण तेजपाल तथा   2 G Spectrum के लायसेन्स रद्द करने वाले,प्रसिद्ध रिटायर्ड सुप्रीम कोर्ट जस्टिस श्री अशोक कुमार गांगुली और हालही में सुप्रीम कोर्ट जस्टिस श्री स्वतंत्र कुमार शामिल है।  इन सभी पर नये कानून कि धाराओं के अंतर्गत केस दर्ज हो चुके है।  जब इन जैसे प्रभावशाली और सक्षम लोगों को उनकी अपनी लम्बी चौड़ी सॉलिसिटर्स कि टीम के बावजूद जमानत तक नहीं हो सकी है, तो सोचिये आप और हम  जैसे साधारण नागरिको का क्या अंजाम होगा ?
   
           आज देश का हर पुरुष, वह चाहे आम नागरिक हो, पंद्रह साल से ऊपर की आयु वाला  किशोर युवा विद्यार्थि  हो, या कोई आमदार हो,खासदार हो,मंत्री हो, पुलिस महकमे का छोटे से बड़ा पदाधिकारी हो, शस्त्र बलसे या केंद्रीय तथा राज्य सरकारी तंत्र से हो, या एक आम पति ही क्यों न हो,  यौन सम्बंधित इस नए कानून कि वजह से, अंदर से घोर चिंता से ग्रसित, एक अनजाने, अनकहे और असहनीय से डर  में या यूँ कहिये एक तरह के  डिप्रेशन में जी रहा है, भारत के पुरुष को एक अजीबसे सामाजिक असंतोष ने घेर लिया है , और यही नहीं उनसे जुडी हुई देश कि हर माँ,बहन, बेटी तथा पत्नी चिंता के अंधकार में डूबी हुई है, उनके दिलों में यह डर बस चूका है के कल को उनके बेटे,भाई, पिता तथा पति के साथ तो ऐसा घटित नहीं होगा ?  एक आम नागरिक के नाते मेरा यह मानना है, के यह नया कानूनी बदलाव भलेही मेरी बेटी के लिए सुरक्षितता भरा हो, किन्तु यही कानून न सिर्फ मेरे, बल्कि सारे भारत देश के बेटों के लिए उपयुक्त नहीं है।  क्योंकि हर वह स्त्री जो किसी पुरुषसे बदले कि भावना रखती हो, या ऐसीही किसी स्त्री को साधन बनाकर,कोई अन्य व्यक्ति या दल या राजनितिक षडयंत्र के चलते इस नए कानून के अंतर्गत यदि  किसी पुरुष पर आरोप जड़ दिए जाए, ऐसे पुरुष को इस देश का बड़े से बड़ा वकील,फिर वह चाहे श्री राम जेठमलानीजी  कि तरह धुरंधर ही क्यों न हो, ऐसे मिथ्या आरोपोसे बरी नहीं करा सकता। 

               हमारे देश के कानून कि सदैव यहि मान्यता रही है, के " कानूनकी पकडसे भले ही सौ अपराधी क्यों न छूट जाए, लेकिन किसी  एक भी  निरपराधी को सजा नहीं होनी चाहिए।"  जबकि इस नए कानून के तहत हो सकता है के कुछएक वास्तविक अपराधी पकड़े जाए, किन्तु साथ ही साथ निश्चित ही अनगिनत निरपराधी भी धर लिए जायेंगे।

               इस नये कानून के चलते विकसित होने वाले प्रभावों को यदि जाँचा जाए, तो मुख्य रूप से दो पहलूओं पर सोचने कि आवश्यकता होगी, जिनमेंसे एक होगा नये कानून के अंतर्गत वास्तविक अपराधियों में फ़लित होनेवाले वाले कुप्रभाव के कारण, अपराधी बलात्कार जैसे घृणित कर्म करने के बाद, सजा से बचने के लिए और इकलौते सबूत को मिटाने के लिए, पीड़िता कि हत्या करने जैसा जुर्म करने के लिए प्रवृत्त हो जाएगा। इसके विपरीत, अगर सजा पाने वाला, किसी षडयंत्रकारी का शिकार कोई वास्तविक निर्दोष निरपराधी निकला, तो इस कड़े और एक तरफा न्याय दिलाने वाले कानून के अंतर्गत, कम से कम सात साल कि सजा के साथ, जिसे आजीवन कारावास में भी बदला जा सकता हो, बड़ी ही निष्ठुरता के साथ जबरन सलाखों के पीछे पहुँचा दिया जाएगा। जिसके दुर्भाग्यपूर्ण प्रतिकूल परिणाम, न सिर्फ सजा पाने वाले ऐसे निरपराधी को, अपितु उससे सम्बंधित उसकी माँ, बहन, बेटी और पत्नी रूपी हर स्त्री को भी भुगतने पड़ेंगे, जिसकी जिम्मेदारी उठाने के लिए, मानवता के आधार पर कानून में बदलाव करने वालों को आगे आना होगा।             
           देश का हर संभ्रांत नागरिक, हर स्त्री को उसके प्रकृति स्वरुप जग-जननी माता के रूप में सदैव वंदन करता है, किन्तु वहीँ पर, देवों के देव महादेव स्वरुप पुरुष वर्ग  को यदि आघात पहुँचे तो इसका कड़े से कड़ा विरोध करना भी  उतनाही अनिवार्य है, और महादेव स्वरूपी पुरुष कि सुरक्षा के लिए  साक्षात प्रकृति माता के रूप में देश कि हर स्त्री को भी अवश्य साथ  देना  होगा।

        भारत के हर एक  पुरुष  नागरिक के  कानूनी अधिकारों को, और उनके  खोये हुए आत्म सम्मान को  पुनः स्थापित करने के लिए  तथा इस नए कानून को संशोधित करके समाज में स्त्री और पुरुष दोनों में  एक जैसी आत्म-सम्मान की भावना स्थापित करने के लिए, भारत देश के हरेक नागरिक से निवेदन है के, एकजुट होकर प्रचंड आंदोलन द्वारा नए कानून के अंतर्गत फैले  इस सामाजिक असंतोष का निर्मूलन करें । क्योंकि बीजेपी और आम आदमी पार्टी ने अपने षड्यंत्रकारी आँदोलन कि राजनीती द्वारा इस कानुनी बदलाव को देश की जनता पर लाद दिया है, जिसका  सिर्फ़ और सिर्फ़ कांग्रेस पार्टी कि विवेकपूर्ण राजनितीक पहल द्वारा ही, समाज में स्त्री और पुरुष दोनों में  एक जैसी आत्म-सम्मान की भावना स्थापित करने के लिए, समाधान कारक कानूनी संशोधन सम्भव है।


          जागो मेरे भारत देश के वासिओं, इससे पहले के देर हो जाए और भविष्य में  इसी  तरह घुटन और तड़प भरी सारी जिंदगी जीने पर विवश होना पड़े , इस  बीजेपी और आम आदमी पार्टी जैसी षड़यंत्र कारी पार्टियों को कड़ा विरोध दर्शाते हुए, अपनी आज़ादी को दर्ज कराने के लिए, तथा सरकारी गठबन्धन के अंकुष चुभाकर, जल्दबाजी में बनाए  गए  इस नए  कानून में बदलाव लाने के लिए और  पुरुषों के प्रति सामाजिक न्याय को पुनः स्थापित करने के लिए संशोधनयुक्त प्रस्ताव पारित कराने हेतु, भारत देश के नागरिकों को, फिर एक बार प्रचंड राष्ट्रव्यापी आंदोलन करना ही होगा।  विराट आंदोलन के रूप में कांग्रेस पार्टी के साथ एकजुट होकर, कांग्रेस कॉमन मैन की "राष्ट्रीय पुरुष आयोग  क्रान्ति " को सफल बनाए।           

                                                                 

 कांग्रेस कॉमन मैन के "राष्ट्रीय  पुरुष आयोग  क्रान्ति " का मुख्य उद्देश____

            National Commission for Men

        राष्ट्रीय पुरुष आयोग 

  •  केंद्र कि सरकार एक ऐसे मण्डल का गठन करे जिसे पुरुषों के लिए राष्ट्रीय आयोग के नाम से जाना जाए, और जिसे इस अधिनियम के अंतर्गत  नियुक्त कार्यो को निभाने  के लिए कार्यालयीन  अधिकारों का इस्तेमाल प्राप्त हो और जिसे  उससे अनुषांगिक या प्रासंगिक मामलों के लिए उपलब्ध रखा जाए।   
  • पुरुषों को प्रभावित करने वाले संविधान और अन्य नियमों द्वारा प्राप्त वर्त्तमान प्रावधानों का अवलोकन करना, जिसमे मुख्य रूपसे CRIMINAL LAW ( AMENDMENT ) ACT,2013 और इस तरह के विधानोंमें व्याप्त किसी अंतर, अपर्याप्तता या दोषों में संशोधनों के लिए  प्रस्ताव एवं  सुधारात्मक वैधानिक कार्रवाइ के लिए अनुरोध करना।                      


              विशेष टिप्पणी :   भारत के सभी नागरिकों से विशेषत: सभी  युवा विद्यार्थियों से नम्र निवेदन है कि  उक्त विचार उचित लगने पर, अपने सारे  परिचितों , बंधू  तथा मित्रों में अवश्य प्रसारित  करें, तथा भारत के सच्चे मिडिया अधिकारी एवम प्रभारी  होने के नाते मानवता के आधार पर जनजागृती के लिए  इस लेख को प्रसारित  करने का सत्कर्म अवश्य करे। कांग्रेस पार्टी के प्रभारियों से नम्र निवेदन है के कांग्रेस कॉमन मैन के इन प्रस्तुत विचारोँ को सारे देश भर में प्रसारण की व्यवस्था करें तथा दिल्ली के जन्तर-मन्तर  मैदान में उचित व्यवस्था प्रदान करें ।  

हर करम अपना करेंगे, ऐ वतन तेरे लिए। 
दिल दिया है, जाँ  भी देंगे ऐ वतन तेरे लिए। 


                                                                     ॥ जय हिन्द ॥ 



          
इस विराट आंदोलन से जुड़ने के लिए __


https://www.facebook.com/events/376074932594472


संपर्क करें :  www.ncm.net.in

प्रस्तावना : कृष्णकांत नंदकिशोर  ब्रहमानन्द। 
अंधेरी पूर्व  ,मुंबई - ४०००६९
E-mail : congresscommonman@gmail.com
Blog : http://congresscommonman.blogspot.in

   ॥  सत्यम शिवम् सुंदरम !॥ 




Copy Enclosed to :
1) Indian National Congress :- connect@inc.in
2) MRCC : mumbaicongress@gmail.com, 
3) MP Gurudas Kamat :  contact@gurudaskamat.com, gurudaskamat.mp@gmail.com
4) ABP News :  editor@abpnews.in 
             



     




    Congress Common Man

       कोंग्रेसी आम आदमी 

प्रस्तावना : कृष्णकांत नंदकिशोर  ब्रहमानन्द। 
अंधेरी पूर्व  ,मुंबई - ४०००६९
E-mail : congresscommonman@gmail.com
Blog : http://congresscommonman.blogspot.in

   ॥  सत्यम शिवम् सुंदरम !॥ 









Tuesday, 3 February 2015

॥ भोलेनाथ का हाथ, कांग्रेस के साथ ॥




                                                               ॥ ॐ  नमः शिवाय ॥ 
                                                  
                                                          ॥   कांग्रेस का महामन्त्र  ॥
                                                 ॥ भोलेनाथ का हाथ, कांग्रेस के साथ ॥ 

           दोस्तों ! नमस्कार ! मै, कृष्णकान्त नंदकिशोर ब्रह्मानन्द, कहने को तो कांग्रेस का एक छोटासा सिपाही हूँ , लेकिन, जो बात, आज मै आपसे कहने जा रहा हूँ, वह निश्चित ही कांग्रेस पार्टी  के लिए एक  'महामन्त्र' साबित होगा।
            हमारे भारत देश की राजनिती, आज देश को एक ऐसे मोड़ पर ले आई है, जहाँ से हमारे देश के सामाजिक भविष्य का पूर्व-अनुमान लगाना, लगभग, असंभव हो गया है। हमारे भारत वर्ष में, सनातन काल से ही अनेक धर्म, जाती-प्रजाति तथा विभिन्न वर्ण सम्प्रदाय के जन समुदाय पाये जाते है, जैसे के देव, दानव, मानव, ऋषि और यक्ष-किन्नर इत्यादि और उसी प्रकार, आज भी हमारे भारत देश में हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई और बुद्धिष्ट, जैन इत्यादि धर्मों का, मुख्य रूप में समावेश, पाया जाता है। ऐसे में, साम्यावस्था अर्थात सर्व-धर्म सम-भाव  वाली धर्म-निरपेक्ष  विचारधारा  की आवश्यकता, जीतनी, उस सनातन काल में महत्व पूर्ण थी, उतनीही आज भी है। किन्तु, आज विडम्बना यह है, के हमारे देश के केंद्रीय सरकार में स्थित भारतीय जनता पार्टी, और उसकी सांप्रदायिक विचारधारा का स्रोत, जो निश्चित ही, आरएसएस द्वारा प्रेरित है, और जो सिर्फ और सिर्फ, 'हिन्दुत्व' के  इर्द-गिर्द ही, घूमता हुआ सा दिखाई देता है।  

              क्या केवल, आरएसएस और बीजेपी की सांप्रदायिक  विचारधारा में विश्वास रखने वाले ही, हिन्दू कहलाने के हक़दार है ? और, अगर यह सच  है, तो फिर, समस्त भारत देश के, उन ६९% हिन्दुओं का क्या ? जो  एक प्रचंड  मात्रा में   कांग्रेस तथा  अन्य पार्टियों में समाहित  है, क्या उन्हें हिन्दू कहलाने का अधिकार प्राप्त नहीं है ?  आज देश के सामने एक बड़ा सवाल यह है, के क्या ? आरएसएस, और बीजेपी द्वारा व्यख्यान्वित किया जाने वाला, 'हिन्दुत्व वाद' ही, हमारे सनातन और शास्वत हिन्दू धर्म को, पूर्ण रूप से परिभाषित करने में समर्थ  है ? या फिर, क्या, यह भी, एक ऐसा ही हठी प्रयास नहीं  है ? जैसा प्रयास, सनातन काल में, प्रजापति दक्ष द्वारा 'दक्ष संहिता' को कार्यान्वित  करने के लिए किया गया था ? और, जिसका खंडन, स्वयं देवों के देव महादेव द्वारा किया गया था , तथा प्रजापति दक्ष द्वारा निरादर करने पर, स्वयं महादेव द्वारा, वीरभद्र रूप धारण करके, प्रजापति दक्ष का, संहार किया गया था। आज, बीजेपी द्वारा अपनाया जाने वाला, सांप्रदायिक विचारधारा से परिपूर्ण, यह भी, एक ऐसा ही प्रयास है, जिसमे, कुछ लोग, परम्पराओं को ही धर्म मानकर जी रहे है, और दूसरे, अधर्म से भरे क्रोध, बैर, और स्वार्थ से भरी, महत्वाकांक्षाओं के भँवर में फंस कर, धर्म का नाश कर रहे है। ऐसे में व्यक्ति को व्यक्ति से प्रेम तो है, किन्तु देश के समस्त जन-समुदाय  के प्रति, ह्रदय में प्रेम नहीं। लोगों के दिलों में, करुणा नहीं। 

               हमारे देश में, समाज के प्रतिष्ठित धर्म-अधिकारीयों द्वारा, साम्यावस्था एवं शांति-वार्ता के लिए, अन्य प्रतिष्ठित  धर्म-गुरुओं को, एवं वर्ण प्रधानों को, तथा स्वयंभू प्रजापतियों को, आमंत्रित किया जाता है , ऐसे महामण्डल की बैठक, जहाँ प्रस्ताव रखे जाते है, चर्चा होती है, नियम बनाये जाते है, और फिर वही नियम, परम्पराओं के नाम पर, और स्वार्थ से भरी, राजनितिक महत्वाकांक्षाओं की आड़ में, पक्षपात का आधार बन जाते है। जिनके कारण, दो विभिन्न धर्म के लोगों के बीच, सांप्रदायिक संघर्ष उत्पन्न होता है, और उस संघर्ष में , सबसे ज्यादह प्रभाव पड़ता है, गरीब, अबोध और निष्पाप, सर्व-साधारण जनता पर, जिनका इस तरह के धर्मांध, संघर्षों में, न जाने कितनी ही बार, विनाश होता रहा है। और फिर, एक और महा-मंडल की बैठक बुलाई जाती है, शांति वार्ता के लिए। यदि, पारंपरिक धर्म-अधिकारियों द्वारा, सांप्रदायिक पक्षपात ही नहीं होता, तो शांति वार्ता, और साम्यावस्था की, बात ही क्यों होती ? पहले, अत्याचार, फिर उपचार, ऐसी नीति का हमारे भारत देश के लिए कोई महत्त्व नहीं है। 

                  शांति, और सद्भावना के लिए, भारी महामण्डल के बैठक की, आवश्यकता नहीं । आवश्यकता है, तो अपनी झूटी महत्वाकांक्षा, अपने स्वार्थ, अपने अहंकार, और अपने लोभ की बैठक बुलाकर, उनको साम्यावस्था अर्थात,  धर्म-निरपेक्ष  विचारधारा  से, शांत करने की, उन पर नियंत्रण करने की। 

               दोस्तों ! ऐसा कदापि नहीं,  के साम्यावस्था, अर्थात सर्व-धर्म समभाव  वाली  धर्म-निरपेक्ष  विचारधारा  का उल्लेख, केवल हमारे वेदों और पुराणों में ही पाया जाता है, अपितु, इस्लामिक धर्म ग्रन्थ कुरआन, ईसाईयों के धर्म ग्रन्थ बाइबल तथा सिखों के, गुरुग्रंथ-साहिब द्वारा भी, साम्यावस्था की पुष्टि की गयी है। 

                 श्रीमद्-भगवद गीता द्वारा स्वयं, भगवान श्री कृष्ण ने कहा है, के जगत के समस्त श्रेष्ठतम पदार्थों में, ईश्वर का ही वास होता है, जैसे, नक्षत्रों में, अधिपति चन्द्रमा, वेदों में सामवेद, पुरोहितों में बृहस्पति, जलाशयों में समुद्र, शब्दों में श्रेष्ठ 'ओंकार', वृक्षों में पीपल तथा हाथियों में श्रेष्ठ ऐरावत हाथी, इत्यादि जिस प्रकार, इस संसार के, सभी श्रेष्ठतम पदार्थों में, ईश्वर स्थित है, उसी प्रकार स्वयं देवों के देव, कैलाशपति महादेव के मुखारविन्द से निकली, साम्यावस्था अर्थात, धर्म-निरपेक्षता की यह विचारधारा, निश्चित ही, सर्व श्रेष्ठ, और जगत के लिए, कल्याणकारी है। 

                दोस्तों !  हमारी कांग्रेस पार्टी के लिए, यह बड़े ही गर्व की बात है, के साक्षात वेदों द्वारा प्रमाणित, और देवों के देव महादेव द्वारा परिभाषित, साम्यावस्था, अर्थात, सर्व-धर्म सम-भाव वाली धर्म-निरपेक्ष  विचारधारा  ही, कांग्रेस पार्टी की विचारधारा है। और यह निश्चित ही, ऐसी विचारधारा है, जो हमारी कांग्रेस पार्टी को, एक श्रेष्ठतम सामाजिक पहचान दिलाती है। यह बात शत-प्रतिशत सत्य है, के कांग्रेस पार्टी केवल एक राजनितिक दल नहीं , अपितु, साम्यावस्था से परिभाषित, धर्म-निरपेक्षता को धारण करने वाली, एक ऐसी, शास्वत और सनातन विचारधारा है, जिसे मिटाना, उस सनातन काल में, स्वयं  ब्रह्मा-पुत्र, प्रजापति दक्ष द्वारा भी संभव नहीं था, तो फिर आज कल की, बीजेपी और उसकी  सांप्रदायिक  गठबंधन वाली  पार्टियों की तो, बिसात ही क्या है ? दोस्तों !  हमारी कांग्रेस पार्टी, आकाश के उस सूरज की तरह, शास्वत है, जिसके तेज-स्वरुप को,  कुछ समय के लिए, विरोधी पार्टियों के षड़यंत्र रूपी काले बादल, ढँक तो सकते है , किन्तु उसे मिटाना, निश्चित ही, असंभव है।

               दोस्तों, बीजेपी के लोकसभा चुनाव अभियान  में, एक विख्यात  महानुभाव द्वारा, साम्प्रदायिकता के प्रमाद वश, यह तक कह दिया गया  के, हमारी कांग्रेस पार्टी सेकुलरिज्म के बुर्खे के पीछे छुपती  है, वह यह जान ले के हमारी कांग्रेस पार्टी साम्यावस्था  के अन्तर्गत सर्व धर्म सम-भाव युक्त, एक ऐसी  सेक्युलर विचारधारा को, धारण करती है , जिसे , देव और असुरों के  संघर्ष को रोकने के लिए,सनातन काल  में ही, स्वयं देवों के देव महादेव द्वारा , एक शास्वत सत्य के रूप में परिभाषित किया गया था। इन सभी बातों का ज्ञान  होने के पश्चात, निश्चित ही, यह बहुत ही कठिन है, के कोई, प्रमाद वश भी,  इस साम्यावस्था  से  युक्त,  सर्व-धर्म सम-भाव वाली सेक्युलर विचारधारा का उपहास करने का, दू:साहस करे।

            दोस्तों ! इस सत्य को और प्रखरता के साथ परखने  के लिए, आइये हम लोग, इलेक्शन कमीशन ऑफ़ इंडिया के,  २०१४ के लोकसभा चुनाओं के स्टैटिस्टिकल डेटा पर, एक नज़र डालते है।  १२५ करोड़ लोगों की आबादी वाले हमारे भारत में कुल  ८३ करोड़, ४० लाख ,८२ हजार ८१४  वोटर्स है, इन में से कुल  ६६.४४ % लोगोने मतलब ५५ करोड़ ३८ लाख १ हजार ८०१ लोगो ने मतदान किया, जिसमे से बीजेपी को ३१% मतलब १७ करोड़ १६  लाख ५७ हजार ५४९ लोगो ने वोट दिया, और कांग्रेस  तथा अन्य गैर बीजेपी दलों को ६९ %, मतलब ३८ करोड़ २१ लाख ४४ हज़ार २५२ वोट प्राप्त हुए, जिसमे से अकेले कांग्रेस पार्टी को १९.३१% मतलब १० करोड़ ६९ लाख, ३८ हज़ार २४२ वोट प्राप्त हुए। इन सभी तथ्यों से यही सिद्ध होता है के, बीजेपी की कट्टर  सांप्रदायिक विचारधारा के  साथ, देश के ६९% वोटर्स सहमति नहीं रखते ।   दोस्तों ! मै आप सभी से यह पूछना चाहता हूँ , के क्या ? १२५ करोड़ लोगों  की आबादी वाली भारत की समस्त जनता पर,  केवल १७ करोड़ लोगों का जनाधार पाने वाली बीजेपी पार्टी को, उनकी असामाजिक और  असंवैधानिक, 'सांप्रदायिक'  विचारधारा को,  देश के बचे हुए १०८ करोड़ लोगों पर लादने की अनुमति, होनी  चाहिए क्या ? नहीं ! कदापि नहीं !
     
              दोस्तो, इन  सारी बातों का यही निष्कर्ष निकलता है के, हिन्दू ,मुस्लिम,सिख, ईसाई  जैसे, सारे  धर्मों से युक्त, हमारी कांग्रेस पार्टी, देश के ऐसे प्रचंड  ६९%  हिन्दू समुदाय  का प्रतिनिधित्व करती  है, जो सनातन काल से चली आ रही तथा  स्वयं  देवों के देव महादेव द्वारा परिभाषित, साम्यावस्था, अर्थात सर्व-धर्म समभाव वाली, धर्म-निरपेक्षता की विचारधारा में, पूर्ण विश्वास रखते है।  इसलिए आज से हम सभी कांग्रेसी, गर्व के साथ यह कहने का अधिकार रखते  है के  " भोलेनाथ का हाथ । कांग्रेस  के साथ ।  या यूँ कहिये के "जो नीलकण्ठ  भोलेनाथ विश्वेश्वर  महादेव  के साथ है, वह कांग्रेस के साथ है।  " 

              दुनिया भर में, आज कल डेअर चैलेंज देने की प्रथा, खूब चल निकली  है।  लालू प्रसाद यादवजी, दिग्विजय सिंह जी, मुलायम सिंह जी, राशिद  अल्वी जी, कपिल सिब्बल जी, सलमान खुर्शीद  जी, अजय माकन जी और सभी के प्यारे अन्ना हजारे जी, और अन्य सभी जेष्ठ नेता गण,  आप सभी से मेरा भी  यह डेअर  चैलेंज  है, और इस सन्देश को सुनने तथा पढने वाले आप सभीसे मेरा यह डेअर चैलेंज है, के आप मेरे इस सन्देश को  कम  से कम अपने पांच दोस्तों के साथ शेअर करेंगे। और उनको  भी, इस डेअर के लिए चैलेंज करेंगे।   इसी भरोसे के साथ, आप सभी से फिर मिलने का वादा लेते हुए, कृष्णकांत ब्रह्मानंद का आप सभी,को प्यार भरा नमस्कार !

             हमारी कांग्रेस पार्टी, हिन्दू धर्म के, सनातन और शास्वत सत्य के साथ  है, और  सत्य ही शिव है।  शिव ही सुन्दर है।  अर्थात, ।। सत्यम शिवम् सुन्दरम् ।। "  

                                 

                                                                   ॥ जय हिन्द ॥
ड्सजक्ज