Tuesday, 3 February 2015

॥ भोलेनाथ का हाथ, कांग्रेस के साथ ॥




                                                               ॥ ॐ  नमः शिवाय ॥ 
                                                  
                                                          ॥   कांग्रेस का महामन्त्र  ॥
                                                 ॥ भोलेनाथ का हाथ, कांग्रेस के साथ ॥ 

           दोस्तों ! नमस्कार ! मै, कृष्णकान्त नंदकिशोर ब्रह्मानन्द, कहने को तो कांग्रेस का एक छोटासा सिपाही हूँ , लेकिन, जो बात, आज मै आपसे कहने जा रहा हूँ, वह निश्चित ही कांग्रेस पार्टी  के लिए एक  'महामन्त्र' साबित होगा।
            हमारे भारत देश की राजनिती, आज देश को एक ऐसे मोड़ पर ले आई है, जहाँ से हमारे देश के सामाजिक भविष्य का पूर्व-अनुमान लगाना, लगभग, असंभव हो गया है। हमारे भारत वर्ष में, सनातन काल से ही अनेक धर्म, जाती-प्रजाति तथा विभिन्न वर्ण सम्प्रदाय के जन समुदाय पाये जाते है, जैसे के देव, दानव, मानव, ऋषि और यक्ष-किन्नर इत्यादि और उसी प्रकार, आज भी हमारे भारत देश में हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई और बुद्धिष्ट, जैन इत्यादि धर्मों का, मुख्य रूप में समावेश, पाया जाता है। ऐसे में, साम्यावस्था अर्थात सर्व-धर्म सम-भाव  वाली धर्म-निरपेक्ष  विचारधारा  की आवश्यकता, जीतनी, उस सनातन काल में महत्व पूर्ण थी, उतनीही आज भी है। किन्तु, आज विडम्बना यह है, के हमारे देश के केंद्रीय सरकार में स्थित भारतीय जनता पार्टी, और उसकी सांप्रदायिक विचारधारा का स्रोत, जो निश्चित ही, आरएसएस द्वारा प्रेरित है, और जो सिर्फ और सिर्फ, 'हिन्दुत्व' के  इर्द-गिर्द ही, घूमता हुआ सा दिखाई देता है।  

              क्या केवल, आरएसएस और बीजेपी की सांप्रदायिक  विचारधारा में विश्वास रखने वाले ही, हिन्दू कहलाने के हक़दार है ? और, अगर यह सच  है, तो फिर, समस्त भारत देश के, उन ६९% हिन्दुओं का क्या ? जो  एक प्रचंड  मात्रा में   कांग्रेस तथा  अन्य पार्टियों में समाहित  है, क्या उन्हें हिन्दू कहलाने का अधिकार प्राप्त नहीं है ?  आज देश के सामने एक बड़ा सवाल यह है, के क्या ? आरएसएस, और बीजेपी द्वारा व्यख्यान्वित किया जाने वाला, 'हिन्दुत्व वाद' ही, हमारे सनातन और शास्वत हिन्दू धर्म को, पूर्ण रूप से परिभाषित करने में समर्थ  है ? या फिर, क्या, यह भी, एक ऐसा ही हठी प्रयास नहीं  है ? जैसा प्रयास, सनातन काल में, प्रजापति दक्ष द्वारा 'दक्ष संहिता' को कार्यान्वित  करने के लिए किया गया था ? और, जिसका खंडन, स्वयं देवों के देव महादेव द्वारा किया गया था , तथा प्रजापति दक्ष द्वारा निरादर करने पर, स्वयं महादेव द्वारा, वीरभद्र रूप धारण करके, प्रजापति दक्ष का, संहार किया गया था। आज, बीजेपी द्वारा अपनाया जाने वाला, सांप्रदायिक विचारधारा से परिपूर्ण, यह भी, एक ऐसा ही प्रयास है, जिसमे, कुछ लोग, परम्पराओं को ही धर्म मानकर जी रहे है, और दूसरे, अधर्म से भरे क्रोध, बैर, और स्वार्थ से भरी, महत्वाकांक्षाओं के भँवर में फंस कर, धर्म का नाश कर रहे है। ऐसे में व्यक्ति को व्यक्ति से प्रेम तो है, किन्तु देश के समस्त जन-समुदाय  के प्रति, ह्रदय में प्रेम नहीं। लोगों के दिलों में, करुणा नहीं। 

               हमारे देश में, समाज के प्रतिष्ठित धर्म-अधिकारीयों द्वारा, साम्यावस्था एवं शांति-वार्ता के लिए, अन्य प्रतिष्ठित  धर्म-गुरुओं को, एवं वर्ण प्रधानों को, तथा स्वयंभू प्रजापतियों को, आमंत्रित किया जाता है , ऐसे महामण्डल की बैठक, जहाँ प्रस्ताव रखे जाते है, चर्चा होती है, नियम बनाये जाते है, और फिर वही नियम, परम्पराओं के नाम पर, और स्वार्थ से भरी, राजनितिक महत्वाकांक्षाओं की आड़ में, पक्षपात का आधार बन जाते है। जिनके कारण, दो विभिन्न धर्म के लोगों के बीच, सांप्रदायिक संघर्ष उत्पन्न होता है, और उस संघर्ष में , सबसे ज्यादह प्रभाव पड़ता है, गरीब, अबोध और निष्पाप, सर्व-साधारण जनता पर, जिनका इस तरह के धर्मांध, संघर्षों में, न जाने कितनी ही बार, विनाश होता रहा है। और फिर, एक और महा-मंडल की बैठक बुलाई जाती है, शांति वार्ता के लिए। यदि, पारंपरिक धर्म-अधिकारियों द्वारा, सांप्रदायिक पक्षपात ही नहीं होता, तो शांति वार्ता, और साम्यावस्था की, बात ही क्यों होती ? पहले, अत्याचार, फिर उपचार, ऐसी नीति का हमारे भारत देश के लिए कोई महत्त्व नहीं है। 

                  शांति, और सद्भावना के लिए, भारी महामण्डल के बैठक की, आवश्यकता नहीं । आवश्यकता है, तो अपनी झूटी महत्वाकांक्षा, अपने स्वार्थ, अपने अहंकार, और अपने लोभ की बैठक बुलाकर, उनको साम्यावस्था अर्थात,  धर्म-निरपेक्ष  विचारधारा  से, शांत करने की, उन पर नियंत्रण करने की। 

               दोस्तों ! ऐसा कदापि नहीं,  के साम्यावस्था, अर्थात सर्व-धर्म समभाव  वाली  धर्म-निरपेक्ष  विचारधारा  का उल्लेख, केवल हमारे वेदों और पुराणों में ही पाया जाता है, अपितु, इस्लामिक धर्म ग्रन्थ कुरआन, ईसाईयों के धर्म ग्रन्थ बाइबल तथा सिखों के, गुरुग्रंथ-साहिब द्वारा भी, साम्यावस्था की पुष्टि की गयी है। 

                 श्रीमद्-भगवद गीता द्वारा स्वयं, भगवान श्री कृष्ण ने कहा है, के जगत के समस्त श्रेष्ठतम पदार्थों में, ईश्वर का ही वास होता है, जैसे, नक्षत्रों में, अधिपति चन्द्रमा, वेदों में सामवेद, पुरोहितों में बृहस्पति, जलाशयों में समुद्र, शब्दों में श्रेष्ठ 'ओंकार', वृक्षों में पीपल तथा हाथियों में श्रेष्ठ ऐरावत हाथी, इत्यादि जिस प्रकार, इस संसार के, सभी श्रेष्ठतम पदार्थों में, ईश्वर स्थित है, उसी प्रकार स्वयं देवों के देव, कैलाशपति महादेव के मुखारविन्द से निकली, साम्यावस्था अर्थात, धर्म-निरपेक्षता की यह विचारधारा, निश्चित ही, सर्व श्रेष्ठ, और जगत के लिए, कल्याणकारी है। 

                दोस्तों !  हमारी कांग्रेस पार्टी के लिए, यह बड़े ही गर्व की बात है, के साक्षात वेदों द्वारा प्रमाणित, और देवों के देव महादेव द्वारा परिभाषित, साम्यावस्था, अर्थात, सर्व-धर्म सम-भाव वाली धर्म-निरपेक्ष  विचारधारा  ही, कांग्रेस पार्टी की विचारधारा है। और यह निश्चित ही, ऐसी विचारधारा है, जो हमारी कांग्रेस पार्टी को, एक श्रेष्ठतम सामाजिक पहचान दिलाती है। यह बात शत-प्रतिशत सत्य है, के कांग्रेस पार्टी केवल एक राजनितिक दल नहीं , अपितु, साम्यावस्था से परिभाषित, धर्म-निरपेक्षता को धारण करने वाली, एक ऐसी, शास्वत और सनातन विचारधारा है, जिसे मिटाना, उस सनातन काल में, स्वयं  ब्रह्मा-पुत्र, प्रजापति दक्ष द्वारा भी संभव नहीं था, तो फिर आज कल की, बीजेपी और उसकी  सांप्रदायिक  गठबंधन वाली  पार्टियों की तो, बिसात ही क्या है ? दोस्तों !  हमारी कांग्रेस पार्टी, आकाश के उस सूरज की तरह, शास्वत है, जिसके तेज-स्वरुप को,  कुछ समय के लिए, विरोधी पार्टियों के षड़यंत्र रूपी काले बादल, ढँक तो सकते है , किन्तु उसे मिटाना, निश्चित ही, असंभव है।

               दोस्तों, बीजेपी के लोकसभा चुनाव अभियान  में, एक विख्यात  महानुभाव द्वारा, साम्प्रदायिकता के प्रमाद वश, यह तक कह दिया गया  के, हमारी कांग्रेस पार्टी सेकुलरिज्म के बुर्खे के पीछे छुपती  है, वह यह जान ले के हमारी कांग्रेस पार्टी साम्यावस्था  के अन्तर्गत सर्व धर्म सम-भाव युक्त, एक ऐसी  सेक्युलर विचारधारा को, धारण करती है , जिसे , देव और असुरों के  संघर्ष को रोकने के लिए,सनातन काल  में ही, स्वयं देवों के देव महादेव द्वारा , एक शास्वत सत्य के रूप में परिभाषित किया गया था। इन सभी बातों का ज्ञान  होने के पश्चात, निश्चित ही, यह बहुत ही कठिन है, के कोई, प्रमाद वश भी,  इस साम्यावस्था  से  युक्त,  सर्व-धर्म सम-भाव वाली सेक्युलर विचारधारा का उपहास करने का, दू:साहस करे।

            दोस्तों ! इस सत्य को और प्रखरता के साथ परखने  के लिए, आइये हम लोग, इलेक्शन कमीशन ऑफ़ इंडिया के,  २०१४ के लोकसभा चुनाओं के स्टैटिस्टिकल डेटा पर, एक नज़र डालते है।  १२५ करोड़ लोगों की आबादी वाले हमारे भारत में कुल  ८३ करोड़, ४० लाख ,८२ हजार ८१४  वोटर्स है, इन में से कुल  ६६.४४ % लोगोने मतलब ५५ करोड़ ३८ लाख १ हजार ८०१ लोगो ने मतदान किया, जिसमे से बीजेपी को ३१% मतलब १७ करोड़ १६  लाख ५७ हजार ५४९ लोगो ने वोट दिया, और कांग्रेस  तथा अन्य गैर बीजेपी दलों को ६९ %, मतलब ३८ करोड़ २१ लाख ४४ हज़ार २५२ वोट प्राप्त हुए, जिसमे से अकेले कांग्रेस पार्टी को १९.३१% मतलब १० करोड़ ६९ लाख, ३८ हज़ार २४२ वोट प्राप्त हुए। इन सभी तथ्यों से यही सिद्ध होता है के, बीजेपी की कट्टर  सांप्रदायिक विचारधारा के  साथ, देश के ६९% वोटर्स सहमति नहीं रखते ।   दोस्तों ! मै आप सभी से यह पूछना चाहता हूँ , के क्या ? १२५ करोड़ लोगों  की आबादी वाली भारत की समस्त जनता पर,  केवल १७ करोड़ लोगों का जनाधार पाने वाली बीजेपी पार्टी को, उनकी असामाजिक और  असंवैधानिक, 'सांप्रदायिक'  विचारधारा को,  देश के बचे हुए १०८ करोड़ लोगों पर लादने की अनुमति, होनी  चाहिए क्या ? नहीं ! कदापि नहीं !
     
              दोस्तो, इन  सारी बातों का यही निष्कर्ष निकलता है के, हिन्दू ,मुस्लिम,सिख, ईसाई  जैसे, सारे  धर्मों से युक्त, हमारी कांग्रेस पार्टी, देश के ऐसे प्रचंड  ६९%  हिन्दू समुदाय  का प्रतिनिधित्व करती  है, जो सनातन काल से चली आ रही तथा  स्वयं  देवों के देव महादेव द्वारा परिभाषित, साम्यावस्था, अर्थात सर्व-धर्म समभाव वाली, धर्म-निरपेक्षता की विचारधारा में, पूर्ण विश्वास रखते है।  इसलिए आज से हम सभी कांग्रेसी, गर्व के साथ यह कहने का अधिकार रखते  है के  " भोलेनाथ का हाथ । कांग्रेस  के साथ ।  या यूँ कहिये के "जो नीलकण्ठ  भोलेनाथ विश्वेश्वर  महादेव  के साथ है, वह कांग्रेस के साथ है।  " 

              दुनिया भर में, आज कल डेअर चैलेंज देने की प्रथा, खूब चल निकली  है।  लालू प्रसाद यादवजी, दिग्विजय सिंह जी, मुलायम सिंह जी, राशिद  अल्वी जी, कपिल सिब्बल जी, सलमान खुर्शीद  जी, अजय माकन जी और सभी के प्यारे अन्ना हजारे जी, और अन्य सभी जेष्ठ नेता गण,  आप सभी से मेरा भी  यह डेअर  चैलेंज  है, और इस सन्देश को सुनने तथा पढने वाले आप सभीसे मेरा यह डेअर चैलेंज है, के आप मेरे इस सन्देश को  कम  से कम अपने पांच दोस्तों के साथ शेअर करेंगे। और उनको  भी, इस डेअर के लिए चैलेंज करेंगे।   इसी भरोसे के साथ, आप सभी से फिर मिलने का वादा लेते हुए, कृष्णकांत ब्रह्मानंद का आप सभी,को प्यार भरा नमस्कार !

             हमारी कांग्रेस पार्टी, हिन्दू धर्म के, सनातन और शास्वत सत्य के साथ  है, और  सत्य ही शिव है।  शिव ही सुन्दर है।  अर्थात, ।। सत्यम शिवम् सुन्दरम् ।। "  

                                 

                                                                   ॥ जय हिन्द ॥
ड्सजक्ज