Thursday, 3 July 2014

क्या आप जानते है ? आपके आज और आने वाले कल पर, इस नए संशोधित यौन सम्बंधित कानून का क्या असर होने वाला है ?

       Congress Common Man

       कोंग्रेसी आम आदमी 

प्रस्तावना : कृष्णकांत नंदकिशोर  ब्रहमानन्द। 
अंधेरी पूर्व  ,मुंबई - ४०००६९
E-mail : congresscommonman@gmail.com
Blog : http://congresscommonman.blogspot.in
   ॥  सत्यम शिवम् सुंदरम !॥ 
                




   क्या आप जानते है ? आपके आज और आने वाले कल पर, 
             इस नए संशोधित यौन सम्बंधित कानून का क्या असर होने वाला है ?

             CRIMINAL LAW ( AMENDMENT) ACT,2013 में कुछ प्रावधान इस प्रकार है _____ 


354 A (1)   यौन उत्पीड़न  (Sexual Harassment )





                                        एक पुरुष जो निम्नलिखित कोई कार्य करे ____

                                        A man committing any of the following acts—

             i ) शारीरिक संपर्क और अवांछनीय दोस्ती-प्यार जताने कि कोशिश में संलिप्त यौन सम्बंधोंकी                           सुनिश्चित कोशिश  करें। ( physical contact and advances involving unwelcome and explicit sexual                   overtures; or) 
         
                                                          ___ या __
    
  
             iv ) कामुकता भरी रंगीन टिप्पणी करना। ( making sexually coloured remarks )

                                                          
                          इस तरह के अपराध के लिए तीन साल तक कि सख्त कारावास कि सजा जुर्माने के साथ सुनाई  जाएगी।


354 D (1)       पीछा करना   (Stalking) ,

                                     कोई पुरुष जो _____

                         i )  पूर्ण अनिच्छा दर्शाने के बावजूद, स्त्रीको बारम्बार व्यक्तिगत  पारस्परिक क्रिया  के लिए                              प्रोत्साहित  करे, पीछा करते हुए संपर्क करें, या संपर्क करनेकी कोशिश करे, ( follows a                                   woman and contacts, or attempts to contact such woman to foster personal interaction                                 repeatedly despite a clear indication of disinterest by such woman; or )                  
                                                                       
                                                                    ___ या __

                          ii ) कोई पुरुष किसी स्त्री द्वारा प्रयोग में लाया हुआ Internet, E-Mail, या किसी तरह का                                         Electronic Communication ( Whats Up & V-Chat  etc.) का निरिक्षण करे। ( monitors the                               use by a woman of the internet, email or any other form of electronic communication )

              आज देश  के हर युवा को विशेषतः देश के अधिकतर युवा  विद्यार्थीयों  को  लगभग इसी तरह की कोशिशों में कार्यरत पाया जाता  है, तो क्या इस नए कानून के अंतर्गत युवा विद्यार्थियों को भी बक्शा नहीं जायेगा ?


                                     इस तरह के कार्य को पीछा करनेका अपराध माना जाएगा।  ऐसे अपराध के लिए कमसे कम   एक  से पांच साल तक के कारावास और आर्थिक-दंड का प्रावधान है।


375                  बलात्कार    ( rape )





                                     एक पुरुष को  " बलात्कारी " कहा जाएगा  अगर वह___

                                      A man is said to commit "rape" if he—



  •                        (C)   कुशलता पूर्वक (चालाकीसे) स्त्रीके किसीभी अंग को छुए, जो उस स्त्री के किसी भी अंग के लिए चुभन  का कारण  बनें, या उस स्त्री द्वारा अपने साथ या किसी और व्यक्ति के साथ ऐसा करवाए।  ( manipulates any part of the body of a woman so as to cause penetration into any part of body of  such  woman or makes her to do so with him or any other person )
        ( सीधे शब्दों में कहा जाए तो, अब से यौन हमला ( Sexual assault ) करने वाले  पुरुष को  बलात्कार कि सजा सुनाई जाएगी।  The word sexual assault has been replaced back to rape. The offence is no longer gender-neutral, only a man can commit the offence on a woman.)


                                    बलात्कार के अपराधी को सात साल के सख्त कारावास कि सजा, जो उसके आखरी साँस लेने तक के आजीवन कारावास में भी बदली जा सके, साथ ही आर्थिक-दंड का भी प्रावधान रहेगा।



                        अदालत द्वारा सिर्फ़ और सिर्फ़  सबूतों को आधार पर ही, किसी भी आरोपी को अपराधी साबित किया जा सकता है, इस नए कानून के अंतर्गत  आवश्यक सबूतों के प्रावधान में भी बदलाव किये गए।  
                       
                          Amendment To The Indian Evidence Act,1872. 
                          सबूतो के लिए कानूनी बदलाव। 


53  A .               आरोपी  पर मुकद्दमें के दरम्यान,जिसने के गुनाह किया हो या करनेकी कोशिश कि हो, और                             यदि सहमति का प्रश्न मुद्दा बनें, तो पीड़ित के चरित्र का प्रमाण या पीड़ित के किसी व्यक्ति के                             साथ गतकाल के यौन सम्बंधित अनुभवों को, ऐसी सहमति के लिए या सहमति के स्वरुप                            के लिए उपयुक्त नहीं माना जाएगा।
                         ( In a prosecution for an offence under section 354, section 354A, section 354B, section
                          354C, section 354D, section 376, section 376A, section 376B, section 376C, section
                          376D or section 376E of the Indian Penal Code or for attempt to commit any such                                      offence, where the question of consent is in issue, evidence of the character of the
                          victim or of such person's previous sexual experience with any person shall not
                          be relevant on the issue of such consent or the quality of consent.".)
                 

114 A.              बलात्कार के मुकद्दमें के दरम्यान अगर पीड़ितकी सहमति होने न होने का प्रश्न उत्पन्न हो,                             ऐसे में यदि पीड़ित  स्त्री कोर्ट के सामने, सबूतों के आधार  स्वरुप यह बताए के, उसकी
                        सहमति नहीं थी तो कोर्ट द्वारा मान लिया जाएगा के, पीड़ित कि सहमति नहीं थी। ( In a                                   prosecution for rape under clause (a),clause (b), clause (c),clause (d), clause (e), clause (f),                         clause (g), clause (h), clause (i), clause (j), clause (k), clause (l), clause (m) or clause (n) of                           sub-section  (2) of section 376 of the Indian Penal Code, where sexual intercourse by the                             accused  is  proved and the question is whether it was without the consent of the woman                               alleged  to have been raped and such woman states in her evidence before the court that
                        she did not consent, the court shall presume that she did not consent.)

       

  • भारत के समस्त नागरिक जानते  है के  कानून के आँखों पर पट्टी बंधी होती है, किन्तु  वह इस लिए नहीं के कानून अँधा होता है, बल्कि इस लिए के कानून न्याय करते वख्त किसी गरीब- अमीर, जनता-नेता, छोटा-बड़ा या स्त्री- पुरुष इन सभी में भेद-भाव नहीं करता।  किन्तु CRIMINAL LAW ( AMENDMENT) ACT,2013   के  इस नए यौन सम्बंधित  कानून में स्त्री और पुरुष मे भेद भाव रखा गया है जिससे अन्तर्गत अब से आगे  सिर्फ और सिर्फ पुरुष पर ही अपराध सिद्ध किया जा सकेगा, और  किसी भी स्त्री पर ऐसा कोई मुकद्दमा चलाया नहीं जा सकेगा। ( इससे यही साबित होता है के इस नए कानून के अंतर्गत भारत के  हर पुरुष के लिए उपलब्ध   न्याय पाने का मुलभुत अधिकार उससे छीन लिया गया है। ) 
  •  नए कानून की धारा 375 - C  के अंतर्गत , अब से यौन हमला ( Sexual assault ) करने वाले  पुरुष को  बलात्कार जैसे जघन्य अपराध  कि सजा सुनाई जाएगी। (  हमारे देश की आदर्श दंड संहिता यही कहती है के हमेशा अपराधी को उसके अपराध के परिमाण में  ही सजा मिलनी चाहिए। यह तो बिलकुल ऐसा हुआ जैसे खून करने कि कोशिश करने वाले को फाँसी कि सजा सुना  दी जाए । )
  • इस कानून की अधिकतम  धाराओं में तो, आरोपी को  जमानत तक नहीं मिल सकती, जिसकी वजह से आरोपी को अपने आप को निर्दोष साबित करने के लिए पूरी कोशिश करने का मौका तक नहीं मिल सकेगा। 
  •  शिकायत कर्ता  स्त्री के  चरित्र का प्रमाण या  शिकायत कर्ता स्त्री  के किसी व्यक्ति के साथ, गतकाल के यौन सम्बंधित अनुभवों को, उस शिकायत कर्ता स्त्री  के खिलाफ सबूत के तौर पर नहीं माना जायेगा। ( इस बात को कदापि  झुटलाया नहीं जा सकता है के दुनिया में चरित्रहीन स्त्रियों का भी अस्तित्व है, ऐसे में ऐसी ही कोई चरित्रहीन स्त्री किसी भी संभ्रान्त निरपराधी पुरुष पर कभी भी दोष मढ़  सकती है जिससे के उस निरपराधी पुरुष का शेष जीवन सुनिश्चित तरीके से  कारावास की भेट चढ़ जायेगा। )     
  •  नए कानून की धारा 114 A   के अंतर्गत बलात्कार के मुकद्दमें के दरम्यान अगर शिकायत कर्ता स्त्री की  सहमति होने न होने का प्रश्न उत्पन्न हो, ऐसे में यदि  शिकायत कर्ता  स्त्री कोर्ट के सामने, सबूतों के आधार  स्वरुप यह बताए के, उसकी  सहमति नहीं थी तो कोर्ट द्वारा मान लिया जाएगा के, पीड़ित कि सहमति नहीं थी। ( ऐसेमें आरोपी भले ही वास्तविक निरपराधी क्यों न हो, कोर्ट द्वारा उसे अपराधी करार दिया जाएगा  और उसे इस नए कानून के अंतर्गत कम से कम सात साल या उसके आखरी सास लेने तक का आजीवन कारावास दिया जा सकेगा।  तो क्या, इससे यह साबित नहीं होता के इस नए कानून के अंतर्गत, प्रत्यक्ष रूप में  कोर्ट के  माननीय जज से दंड देनेका अधिकार छीन कर स्वयं शिकायत करता स्त्री के हाथों में सौप दिया गया हो ? ) 
          इन सभी पहलूओं पर अगर गौर किया जाये तो यही सामने आएगा  की इस नए कानून के अंतर्गत यदि एक बार किसी वास्तविक निरपराधी पुरुष पर मुकद्दमा डाल  दिया जाये तो यह निश्चित है के ऐसा निर्दोष  आरोपी  अपना  सारा जीवन किसी जघन्य अपराधी के समान  सलाखों के पीछे तड़पते हुए बिताने पर मजबूर हो जायेगा।  इससे यही साबित होता है के इस नए कानून के अंतर्गत भारत के  हर पुरुष से  " Right  to  Justice  "( न्याय पाने का अधिकार ) जैसा मौलिक अधिकार छीन लिया गया है। 
               
                नए कानून को लागू होकर  लगभग एक वर्ष हो चूका है, किन्तु प्राप्त आंकड़ो के आधार पर यह सामने आ रहा है, के यौन सम्बंधित  अपराध कम होने के बजाय तकरीबन दुगुने हो गए है। न सिर्फ आम जनता, अपितु  बड़े बड़े ख्याति प्राप्त लोग इसमें फंस चुके है, जिनमे प्रमुख है, भारतके प्रसिद्ध सत्संगी संत श्री आसाराम बापू, स्टिंग ऑपरेशन के शिरोमणि, तहलका के श्री तरुण तेजपाल तथा   2 G Spectrum के लायसेन्स रद्द करने वाले,प्रसिद्ध रिटायर्ड सुप्रीम कोर्ट जस्टिस श्री अशोक कुमार गांगुली और हालही में सुप्रीम कोर्ट जस्टिस श्री स्वतंत्र कुमार शामिल है।  इन सभी पर नये कानून कि धाराओं के अंतर्गत केस दर्ज हो चुके है।  जब इन जैसे प्रभावशाली और सक्षम लोगों को उनकी अपनी लम्बी चौड़ी सॉलिसिटर्स कि टीम के बावजूद जमानत तक नहीं हो सकी है, तो सोचिये आप और हम  जैसे साधारण नागरिको का क्या अंजाम होगा ?
   
                      आज देश का हर पुरुष, वह चाहे आम नागरिक हो, युवा विद्यार्थि  हो, या कोई आमदार हो,खासदार हो,मंत्री हो, पुलिस महकमे का छोटे से बड़ा पदाधिकारी हो, शस्त्र बलसे या केंद्रीय तथा राज्य सरकारी तंत्र से हो, यौन सम्बंधित इस नए कानून कि वजह से, अंदर से घोर चिंता से ग्रसित, एक अनजाने, अनकहे और असहनीय से डर  में या यूँ कहिये एक तरह के  डिप्रेशन में जी रहा है, और यही नहीं उनसे जुडी हुई देश कि हर माँ,बहन, बेटी तथा पत्नी चिंता के अंधकार में डूबी हुई है, उनके दिलों में यह डर बस चूका है के कल को उनके बेटे,भाई, पिता तथा पति के साथ तो ऐसा घटित नहीं होगा ?  एक आम नागरिक के नाते मेरा यह मानना है, के यह नया कानूनी बदलाव भलेही मेरी बेटी के लिए सुरक्षितता भरा हो, किन्तु यही कानून न सिर्फ मेरे, बल्कि सारे भारत देश के बेटों के लिए उपयुक्त नहीं है।  क्योंकि हर वह स्त्री जो किसी पुरुषसे बदले कि भावना रखती हो, या ऐसीही किसी स्त्री को साधन बनाकर,कोई अन्य व्यक्ति या दल या राजनितिक षडयंत्र के चलते इस नए कानून के अंतर्गत यदि  किसी पुरुष पर आरोप जड़ दिए जाए, ऐसे पुरुष को इस देश का बड़े से बड़ा वकील,फिर वह चाहे श्री राम जेठमलानीजी  कि तरह धुरंधर ही क्यों न हो, ऐसे मिथ्या आरोपोसे बरी नहीं करा सकता।

               हमारे देश के कानून कि सदैव यहि मान्यता रही है, के " कानूनकी पकडसे भले ही सौ अपराधी क्यों न छूट जाए, लेकिन किसी  एक भी  निरपराधी को सजा नहीं होनी चाहिए।"  जबकि इस नए कानून के तहत हो सकता है के कुछएक वास्तविक अपराधी पकड़े जाए, किन्तु साथ ही साथ निश्चित ही अनगिनत निरपराधी भी धर लिए जायेंगे।

                     इस नये कानून के चलते  विकसित होने वाले प्रभावों को यदि  जाँचा जाए,  तो मुख्य रूप से दो पहलूओं पर सोचने कि आवश्यकता होगी, जिनमेंसे एक होगा नये कानून के अंतर्गत वास्तविक अपराधियों में फ़लित होनेवाले वाले कुप्रभाव के कारण, अपराधी बलात्कार जैसे घृणित कर्म करने  के बाद, सजा से बचने के लिए और इकलौते सबूत को मिटाने के लिए, पीड़िता कि हत्या करने जैसा जुर्म करने के लिए प्रवृत्त हो जाएगा। इसके विपरीत, अगर सजा पाने वाला, किसी षडयंत्रकारी का शिकार कोई  वास्तविक निर्दोष निरपराधी निकला, तो इस कड़े और एक तरफा न्याय दिलाने वाले कानून के अंतर्गत, कम से कम सात साल कि सजा के साथ,  जिसे आजीवन कारावास में भी  बदला जा सकता हो, बड़ी ही निष्ठुरता  के साथ जबरन सलाखों के पीछे पहुँचा दिया जाएगा। जिसके दुर्भाग्यपूर्ण प्रतिकूल परिणाम, न सिर्फ सजा पाने वाले ऐसे निरपराधी को, अपितु उससे सम्बंधित उसकी माँ, बहन, बेटी और पत्नी रूपी  हर स्त्री को भी भुगतने पड़ेंगे, जिसकी जिम्मेदारी उठाने के लिए, मानवता के आधार पर कानून में बदलाव करने वालों को आगे आना होगा। 

                  देश का हर संभ्रांत नागरिक, हर स्त्री को उसके प्रकृति स्वरुप जग-जननी माता के रूप में सदैव वंदन करता है, किन्तु वहीँ पर, देवों के देव महादेव स्वरुप पुरुष वर्ग  को यदि आघात पहुँचे तो इसका कड़े से कड़ा विरोध करना भी  उतनाही अनिवार्य है, और महादेव स्वरूपी पुरुष कि सुरक्षा के लिए  साक्षात प्रकृति माता के रूप में देश कि हर स्त्री को भी अवश्य साथ  देना  होगा।

        भारत के हर एक  पुरुष  नागरिक के  कानूनी अधिकारों को, और अपने खोये हुए आत्म सम्मान को  पुनः स्थापित करने के लिए  तथा इस नए कानून को संशोधित करके समाज में स्त्री और पुरुष दोनों में  एक जैसी आत्म-सम्मान की भावना स्थापित करने के लिए, भारत देश के हरेक नागरिक से निवेदन है के, एकजुट होकर प्रचंड आंदोलन द्वारा नए कानून के अंतर्गत फैले  इस सामाजिक असंतोष का निर्मूलन करें । क्योंकि बीजेपी और आम आदमी पार्टी ने अपने षड्यंत्रकारी आँदोलन कि राजनीती द्वारा इस कानुनी बदलाव को देश की जनता पर लाद दिया है, जिसे सिर्फ़ और सिर्फ़ कांग्रेस पार्टी कि विवेकपूर्ण राजनितीक पहल द्वारा ही  समाज में स्त्री और पुरुष दोनों में  एक जैसी आत्म-सम्मान की भावना स्थापित करने के लिए समाधान कारक कानूनी संशोधन सम्भव है।

          जागो मेरे भारत देश वासिओं, इससे पहले के देर हो जाये और अगले पांच सालों तक इसी  तरह घुटन और तड़प से भरी जिंदगी जीने पर विवश होना पड़े , इस  बीजेपी और आम आदमी पार्टी जैसी षड़यंत्र कारी पार्टियों को कड़ा विरोध दर्शाते हुए, अपनी आज़ादी को दर्ज कराने, के लिए कांग्रेस पार्टी के साथ एकजुट होकर कांग्रेस कॉमन मैन की "अखिल भारतीय पुरुष क्रान्ति " को कामयाब करें।           

                                                                     ॥ जय हिन्द ॥ 


 कांग्रेस कॉमन मैन के "अखिल भारतीय पुरुष क्रान्ति " का मुख्य उद्देश____

  • केंद्र कि सरकार एक ऐसे मण्डल का गठन करे जिसे पुरुषों के लिए राष्ट्रीय आयोग के नाम से जाना जाए, और जिसे इस अधिनियम के अंतर्गत  नियुक्त कार्यो को निभाने  के लिए कार्यालयीन  अधिकारों का इस्तेमाल प्राप्त हो और जिसे  उससे अनुषांगिक या प्रासंगिक मामलों के लिए उपलब्ध रखा जाए।  

    • राष्ट्रीय पुरुष आयोग के अंतर्गत भारत के सभी निर्दोष तथा निरपराधी पुरुष वर्ग  को न्याय दिलाने हेतु, 
    •   नये यौन सम्बंधित अधिनियम के  अधिकांश संशोधनों में  वंचित रखे गए लैंगिक समानता को पुन:स्थापित करना । जिससे अधिकांश संशोधनों में लैंगिक निष्पक्षता को  स्थापित किया जा सकेगा। 
     
  • जिससे स्त्रियों के समकक्ष  पुरुषों में  भी आत्मसम्मान  और संरक्षण कि अनुभूति स्थापित कि जाए  
  •   
    और जरुरत पड़ने पर यौन सम्बंधित अधिनियम  के अनुच्छेदों  में संकलन  एवं  संशोधन किया जा सके। 
                                    

              विशेष टिप्पणी :   भारत के सभी नागरिकों से विशेषत: सभी  युवा विद्यार्थियों से नम्र निवेदन है कि  उक्त विचार उचित लगने पर , अपने सारे  परिचितों , बंधू  तथा मित्रों में अवश्य प्रसारित  करें, तथा भारत के सच्चे मिडिया अधिकारी एवम प्रभारी  होने के नाते मानवता के आधार पर जनजागृती के लिए  इस लेख को प्रसरित करने का सत्कर्म अवश्य करे। कांग्रेस पार्टी के प्रभारियों से नम्र निवेदन है के कांग्रेस कॉमन मैन के इन प्रस्तुत विचारोँ को सारे देश भर में प्रसारण की व्यवस्था करें। 

हर करम अपना करेंगे, ऐ वतन तेरे लिए। 
दिल दिया है, जाँ  भी देंगे ऐ वतन तेरे लिए। 

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