Friday, 22 August 2014

राष्ट्रीय पुरुष आयोग क्रांति !!





क्या आप भारतीय 'पुरुष' है ?
क्या आज कल आपके स्वाभाव में असंतोष और नाराजी झलकती है?
तो निःसंदेह इसका कारण यही है __

         भारत देश के लिए ऊपरी तौर पर भले ही यह गर्व की बात प्रतीत होती है के CRIMINAL LAW (AMENDMENT) ACT , 2013 के अंतर्गत देश के महिला वर्ग को बेहतरीन सशक्तिकरण प्रदान किया गया, किन्तु यह भी उतना ही कड़वा सच है के इस नए कानून की गठन प्रक्रिया में महिलाओं को सशक्तिकरण प्रदान करने हेतु भारत के समस्त पुरुष वर्ग के न्याय पाने जैसे मौलिक अधिकारों और निर्धारित मानदंडों की अवहेलना की गयी। देश के पुरुष वर्ग पर इसका विपरीत और सामाजिक असंतोषयुक्त परिणाम दिखाई दे रहा है।


        हमारी मांग यह कदापि नहीं है के इस नए यौन सम्बंधित कानून द्वारा दी गई महिलाओं की सुरक्षा किसी भी रूप में कम की जाए, अपितु हमारी मांग यह अवश्य है के महिलाओं की तरह पुरुषों को भी सशक्त कानूनी सुरक्षा प्राप्त होनी ही चाहिए !

        सारे समाज में इस नए नए यौन सम्बंधित कानून का दुरुपयोग साफ़ दिखाई दे रहा है, जैसे आरोप जड़ते ही किसी भी पुरुष को एक जघन्य अपराधी के सामान कारावास में ठूँस देना जिसकी के जमानत भी न हो सके। और तो और जब मामला कोर्ट में पहुंचे तो ठोस सबूतों के स्वरुप आरोप दाखल करने वाली स्त्री का जज के सामने सिर्फ मौखिक बयान भर देने से आरोपी पुरुष को जज द्वारा अपराधी मानते हुए काम से कम सात साल कारावास जिसे आजीवन कारावास में ( उस पुरुष के आखरी सांस लेने तक ) बदला जा सकेगा, इस तरह का प्रावधान है।   

         भारत के समस्त नागरिक जानते है के कानून के आँखों पर पट्टी बंधी होती है, किन्तु वह इस लिए नहीं के कानून अँधा होता है, बल्कि इस लिए के कानून न्याय करते वख्त किसी गरीब- अमीर, जनता-नेता, छोटा-बड़ा या स्त्री- पुरुष इन सभी में भेद-भाव नहीं करता। किन्तु CRIMINAL LAW ( AMENDMENT) ACT,2013 के इस नए यौन सम्बंधित कानून में स्त्री और पुरुष मे भेद भाव (Gender Discrimination) रखा गया है जिससे अन्तर्गत अब से आगे अदालतों में सिर्फ और सिर्फ पुरुष पर ही अपराध सिद्ध किया जा सकेगा, और किसी भी स्त्री पर ऐसा कोई मुकद्दमा चलाया नहीं जा सकेगा। ( इससे यही साबित होता है के इस नए कानून के अंतर्गत भारत के हर पुरुष के लिए उपलब्ध न्याय पाने का मुलभुत अधिकार उससे छीन लिया गया है। )

        भारतीय जनादेश पर आधारित, राष्ट्रीय पुरुष आयोग क्रांति के मुख्य उद्देश इस प्रकार है ___


  • पुरुषों के संविधानिक और  कानूनी सुरक्षा का पुनर्विचार ;
  •  सुधारात्मक वैधानिक कार्रवाइ  अनुरोध 
  • शिकायतों के निरसन में सरलता और 
  • पुरुषो को प्रभावित करने वाले सभी मामलों की नीतियों पर सरकार को सुझाव देना।  

             केंद्र कि सरकार एक ऐसे मण्डल का गठन करें जिसे पुरुषों के लिए राष्ट्रीय आयोग के नाम से जाना जाए, और जिसे इस अधिनियम के अंतर्गत  नियुक्त कार्यो को निभाने  के लिए कार्यालयीन  अधिकारों का इस्तेमाल प्राप्त हो और जिसे  उससे अनुषांगिक या प्रासंगिक मामलों के लिए उपलब्ध रखा जाए। 

पुरुषों को प्रभावित करने वाले संविधान और अन्य नियमों द्वारा प्राप्त वर्त्तमान प्रावधानों का अवलोकन करना, जिसमे मुख्य रूपसे CRIMINAL LAW ( AMENDMENT ) ACT,2013 और इस तरह के विधानोंमें व्याप्त किसी अंतर, अपर्याप्तता या दोषों में संशोधनों के लिए  प्रस्ताव एवं  सुधारात्मक वैधानिक कार्रवाइ के लिए अनुरोध करना।    


विशेष टिप्पणी :      
       भारत के सभी नागरिकों से, विशेष कर देश के युवा वर्ग से युक्त विद्यार्थियोंसे यह नम्र निवेदन है समाज के प्रति उत्तरदायित्व निभाते हुए आप इस विराट क्रांति  के सदस्य बनें तथा इस सन्देश को 'शेयर' करें। भारत के सच्चे मिडिया अधिकारी एवम प्रभारी होने के नाते मानवता के आधार पर जनजागृती के लिए इस लेख को प्रसरित करने का सत्कर्म अवश्य करे। कांग्रेस पार्टी के प्रभारियों से नम्र निवेदन है के कांग्रेस कॉमन मैन के इन प्रस्तुत विचारोँ को सारे देश भर में प्रसारण की व्यवस्था करें। 

राष्ट्रीय पुरुष आयोग क्रांति से जुड़ने के लिए कृपया लिंक करें ____

https://www.facebook.com/events/845181395500191/

http://www.ncm.net.in/

प्रस्तावना : कृष्णकान्त नं. ब्रह्मानन्द।
कांग्रेसी आम आदमी।  Congress Common Man.
अंधेरी पूर्व  ,मुंबई - ४०००६९. 

 ॥  सत्यम शिवम् सुंदरम !॥ 


Wednesday, 20 August 2014

National Commission for Men __ राष्ट्रीय पुरुष आयोग क्रांति !!




Are You an Indian Man ?
Are You  finding yourself, in an Upset and depressed, State of Mind ?
Then Definitely it is only because of this ___

       Although it pretend to be the proud to the Nation that, under the "CRIMINAL LAW (AMENDMENT) ACT,2013"  Indian Women Empowerment is enabled, but on the contrary this is also an acerbic truth that, by the time of constituting the Criminal Law Amendment Act 2013, to enable the Women Empowerment, the Determined Standard of Radical 'Right  to Justice' of entire  Men  section of India is rendered  flouting. 

 This is true that we do not demand, in any way, to degrade the strength of Women empowerment enabled by the enforcement of Criminal Law ( Amendment ) Act,2013 , on the contrary, As per our Constitutional Right to Justice, we do pray,  to Review the exiting provisions of the Constitution and other laws affecting Men, especially  Criminal Law (Amendment) Act,2013  and recommend amendments thereto so as to suggest remedial legislative measures to meet any lacunae, inadequacies or shortcomings in such legislations.

Reviewing from time to time,the existing provisions of the constitution and other laws, particularly Criminal Law (Amendment) Act,2013,amended for prevention of crime against women, major misuse is assessed against the status of men and their constitutional rights. Some of the examples are__

1) Immediately after imposing complaint against any man, he receives no bail imprisonment as a heinous offender, before receiving any sentence from the court of law, It is an acute case of violation against constitutional provision of Right to defend of Men. 

2) A man is said to commit "rape" if he manipulates any part of the body of a woman so as to cause penetration into any part of body of  such  woman. Conclusion is that, from now on ward the word "Sexual assault"  has been replaced back to rape. The offence is no longer gender-neutral, only a man can commit the offence on a woman. Here Gender Equality is not maintained and  Men's constitutional  Right to Justice is violated. 

3) During the  prosecution for rape,instead of solid evidences, just a mere oral statement before the court, that she did not consent, the court will make a presumption that the opponent is a heinous criminal and shall punished with rigorous imprisonment of either description for a term shall not be less than seven years or imprisonment for life. The medical evidence is no longer necessary & there is no time limit to file a suit against any man.

From now onward reviewing all above, do you think that  the Indian Man is receiving  any Justice? 

With all these facts, don't you think that now it is the time to wake up? 
To raise your voice, just ' Join ' the National Event  with us on Link_ 

https://www.facebook.com/events/845181395500191/

THE PROPOSED MANDATE OF THE NATIONAL COMMISSION FOR MEN.


The Central Government shall constitute a body to be known as the National Commission for Men to exercise the powers conferred on and to perform the functions assigned to it , under this Act.   


  Review the existing provisions of the Constitution and other laws affecting men, especially Criminal Law (Amendment)Act,2013  and recommend amendments thereto so as to suggest remedial legislative measures to meet any lacunae, inadequacies or shortcomings in such legislations; 


NOTE :    All the citizens of India, especially youth section including  young  students,  are  cordially requested to  'Join'  this movement of " National Commission for Men  __ राष्ट्रीय पुरुष आयोग क्रांति !! "  and also do share it on your timeline as well as share the same on as many as your friends  timeline. Remember that, by doing this you are going to discharge your precious duty towards the community.

To ' Join'  and ' Share'   this  Nation wide Great Movement of " National Commission for Men"  please click on the Link below ....


https://www.facebook.com/events/845181395500191/



"सबसे बड़ा अपराध है अन्याय सहना और गलत का साथ देना " नेताजी सुभाष चन्द्र बोस। 


प्रस्तावना : कृष्णकान्त नं. ब्रह्मानन्द।
कांग्रेसी आम आदमी।  Congress Common Man.
अंधेरी पूर्व  ,मुंबई - ४०००६९
E-mail : congresscommonman@gmail.com



   ॥  सत्यम शिवम् सुंदरम !॥ 

Saturday, 16 August 2014

राष्ट्रीय पुरुष आयोग क्रांति ! __National Commission for Men.

    Congress Common Man

       कोंग्रेसी आम आदमी 

प्रस्तावना : कृष्णकांत नंदकिशोर  ब्रहमानन्द। 
अंधेरी पूर्व  ,मुंबई - ४०००६९
E-mail : congresscommonman@gmail.com
Blog : http://congresscommonman.blogspot.in

   ॥  सत्यम शिवम् सुंदरम !॥ 



क्या आप भारतीय 'पुरुष' है ? 


भारतीय पुरुषों के सामाजिक  एवं न्यायिक अधिकारों को पुनः  स्थापित करने  हेतु  ___

समस्त भारतीय नागरिकों का भव्य शक्ति प्रदर्शन !


            राष्ट्रीय पुरुष आयोग क्रांति !  __National Commission for Men.

                                                            

         भारत देश के लिए  यह गर्व की बात प्रतीत होती है के  CRIMINAL LAW (AMENDMENT) ACT , 2013 के अंतर्गत देश के महिला वर्ग को बेहतरीन सशक्तिकरण प्रदान किया गया, किन्तु यह भी उतना ही कड़वा सच है के इस नए कानून की  गठन प्रक्रिया में महिलाओं को सशक्तिकरण  प्रदान करने हेतु भारत के समस्त  पुरुष वर्ग के न्याय पाने जैसे मौलिक अधिकारों और निर्धारित मानदंडों की अवहेलना की गयी। देश के पुरुष वर्ग पर  इसका विपरीत  और सामाजिक असंतोषयुक्त परिणाम दिखाई  दे रहा है।

         देश के समस्त भाई और बहने यह जानते  है, के  दिल्ली के १६ दिसम्बर २०१२ को "निर्भया" प्रकरण के रूप में जो  बेहद ही संवेदनशील घटना सामने आयी उस समय इस घटना से राजनीतिक लाभ उठाने के लिए  दिल्ली में समकालीन  विपक्षी BJP और आम आदमी पार्टी के नेतृत्व  में उग्र  आंदोलन चलाए गए जिसमे हज़ारों कि संख्या में लोग सुरक्षा बलों से भीड़ पड़े। लगभग इसी तरह के विरोध विपक्षियों द्वारा देश के हर शहर में दर्ज हुए। विपक्षियों के द्वारा किया गया यह कार्य देश के संविधान के विरुद्ध साबित हुआ क्योंकि देश के कानून को जिस संसद के द्वारा स्थापित रखा जाता है, उसी संसद के सामने किये गए उग्र आंदोलनो के चलते  कांग्रेस के UPA गठबंधन वाली वर्त्तमान सरकार को विवश होना पड़ा और आम आदमी पार्टी तथा बीजेपी जैसे विपक्षि दलों  के आंदोलन कारियों के दबाव में महज साढ़े तीन महीनो कि कालावधि में लगभग  घुटनों  पर  गिरकर  इस नए यौन सम्बंधित कानून को लागु करना पड़ा।  

          किसी भी देश की ताकत उस देश के युवा वर्ग से आँकी जाती है, देश के लिए मर मिटने का जज्बा अक्सर  एक युवा में ही पाया जाता है। हमारे देश के  नौजवानों की इसी युवा शक्ति  को  मिटाने के मक़सद से  विदेशी ताकतों के साथ मिल कर  बीजेपी और आम आदमी पार्टी द्वारा   अपने षडयंत्रकारी उग्र आंदोलनों के जरिये यूपीए  सरकार पर दबाव कि राजनीती का  ईस्तेमाल करते हुए , हमारे भारत देश में  इस त्रुटी युक्त  नए यौन सम्बंधित कानून को लागु करवाया गया है। 


  क्या आप जानते है ? आपके आज और आने वाले कल पर,          

          इस नए संशोधित यौन सम्बंधित कानून का क्या असर होने वाला है ?

  • भारत के समस्त नागरिक जानते  है के  कानून के आँखों पर पट्टी बंधी होती है, किन्तु  वह इस लिए नहीं के कानून अँधा होता है, बल्कि इस लिए के कानून न्याय करते वख्त किसी गरीब- अमीर, जनता-नेता, छोटा-बड़ा या स्त्री- पुरुष इन सभी में भेद-भाव नहीं करता।  किन्तु CRIMINAL LAW ( AMENDMENT) ACT,2013   के  इस नए यौन सम्बंधित  कानून में स्त्री और पुरुष मे भेद भाव (Gender Discrimination) रखा गया है जिससे अन्तर्गत अब से आगे अदालतों में  सिर्फ और सिर्फ पुरुष पर ही अपराध सिद्ध किया जा सकेगा, और  किसी भी स्त्री पर ऐसा कोई मुकद्दमा चलाया नहीं जा सकेगा। ( इससे यही साबित होता है के इस नए कानून के अंतर्गत भारत के  हर पुरुष के लिए उपलब्ध   न्याय पाने का मुलभुत अधिकार उससे छीन लिया गया है। ) 
  •  नए कानून की धारा 375 - C  के अंतर्गत , अब से यौन हमला ( Sexual assault ) करने वाले  पुरुष को  बलात्कार जैसे जघन्य अपराध  कि सजा सुनाई जाएगी। (  हमारे देश की आदर्श दंड संहिता यही कहती है के हमेशा अपराधी को उसके अपराध के परिमाण में  ही सजा मिलनी चाहिए। यह तो बिलकुल ऐसा हुआ जैसे खून करने कि कोशिश करने वाले को फाँसी कि सजा सुना  दी जाए । क्या यह  समस्त भारत के पुरुषों के मानव अधिकारों का हनन नहीं है ? )
  • इस नए कानून की अधिकतम  धाराओं में तो, आरोपी को  जमानत तक नहीं मिल सकती, जिसकी वजह से आरोपी को अपने आप को निर्दोष साबित करने के लिए पूरी कोशिश करने का मौका तक नहीं मिल सकेगा। अगर यह सच है के आरोप साबित होने तक आरोपी को अपराधी नहीं कहा जा सकता तो इस  नए यौन सम्बंधित कानून के तहत आरोप लगते ही भारतीय पुरुष को अपराधी की तरह जेल में डालना, क्या यह पुरष वर्ग के ( Right to Justice ) न्याय पाने के अधिकारों के साथ खिलवाड़ नहीं है ? 
  •  सबूतों के लये संशोधित  नए कानून की धारा 53 A  के अंतर्गत शिकायत कर्ता  स्त्री के  चरित्र का प्रमाण या  शिकायत कर्ता स्त्री  के किसी व्यक्ति के साथ, गतकाल के यौन सम्बंधित अनुभवों को, उस शिकायत कर्ता स्त्री  के खिलाफ सबूत के तौर पर नहीं माना जायेगा। ( इस बात को कदापि  झुटलाया नहीं जा सकता है के दुनिया में चरित्रहीन स्त्रियों का भी अस्तित्व है, ऐसे में ऐसी ही कोई चरित्रहीन स्त्री,जो किसी पुरुषसे बदले कि भावना रखती हो, या ऐसीही किसी चरित्रहीन  स्त्री को साधन बनाकर, कोई अन्य व्यक्ति या राजनितिक दल  द्वारा भारत के  किसी भी संभ्रान्त निरपराधी पुरुष पर कभी भी दोष मढ़ा जा सकता है जिससे के उस निरपराधी पुरुष का शेष जीवन सुनिश्चित तरीके से  कारावास की भेट चढ़ जायेगा। क्या यह भारत के समस्त पुरुषों के प्रति  कानून का दुरुपयोग नहीं है ? )     
  •  सबूतों के लये संशोधित  नए कानून की धारा 114 A   के अंतर्गत बलात्कार के मुकद्दमें के दरम्यान अगर शिकायत कर्ता स्त्री की  सहमति होने न होने का प्रश्न उत्पन्न हो, ऐसे में यदि  शिकायत कर्ता  स्त्री कोर्ट के सामने, सबूतों के आधार  स्वरुप यह बताए के, उसकी  सहमति नहीं थी तो कोर्ट द्वारा मान लिया जाएगा के, पीड़ित कि सहमति नहीं थी। ( ऐसेमें आरोपी भले ही वास्तविक निरपराधी क्यों न हो, कोर्ट द्वारा उसे अपराधी करार दिया जाएगा  और उसे इस नए कानून के अंतर्गत कम से कम सात साल या उसके आखरी सास लेने तक का आजीवन कारावास दिया जा सकेगा।  तो क्या, इससे यह साबित नहीं होता के इस नए कानून के अंतर्गत, प्रत्यक्ष रूप में  कोर्ट के  माननीय जज  से दंड देनेका अधिकार छीन कर स्वयं शिकायत करता स्त्री के हाथों में सौप दिया गया हो ? ) 
  • अनादि काल से स्त्री और पुरुष सदैव एक दूसरे के पूरक रहे है। लगभग दोनों में ही काम रुपी भावना एक सामान ही पाई जाती है और यौन अपराधों का मुख्य कारण है इस काम रुपी भावना का अविवेकपूर्ण और अनियंत्रित बर्ताव,  यह अवगुण पाये जाने की संभावना जितनी  पुरुषों में  है लगभग उतनीही संभावना स्त्रियों में भी होने को नकारा नहीं जा सकता , तो इस यौन सम्बंधित नए कानून द्वारा सिर्फ स्त्री को ही पीड़ित और पुरष को ही दोषी कैसे  करार दिया जा सकता  है ? कहा गए, ( Gender Equality ) लिंग समानता का राग अलापने वाले ?
          इन सभी पहलूओं पर अगर गौर किया जाये तो यही सामने आएगा  की इस नए कानून के अंतर्गत यदि एक बार किसी वास्तविक निरपराधी पुरुष पर मुकद्दमा डाल  दिया जाये तो यह निश्चित है के ऐसा निर्दोष  आरोपी  अपना  सारा जीवन किसी जघन्य अपराधी के समान  सलाखों के पीछे तड़पते हुए बिताने पर मजबूर हो जायेगा।  इससे यही साबित होता है के इस नए कानून के अंतर्गत भारत के  हर पुरुष से  " Right  to  Justice  "( न्याय पाने का अधिकार ) जैसा मौलिक अधिकार छीन लिया गया है। 
               
                नए कानून को लागू होकर  लगभग एक वर्ष हो चूका है, किन्तु प्राप्त आंकड़ो के आधार पर यह सामने आ रहा है, के यौन सम्बंधित  अपराध कम होने के बजाय तकरीबन दुगुने हो गए है। न सिर्फ आम जनता, अपितु  बड़े बड़े ख्याति प्राप्त लोग इसमें फंस चुके है, जिनमे प्रमुख है, भारतके प्रसिद्ध सत्संगी संत श्री आसाराम बापू, स्टिंग ऑपरेशन के शिरोमणि, तहलका के श्री तरुण तेजपाल तथा   2 G Spectrum के लायसेन्स रद्द करने वाले,प्रसिद्ध रिटायर्ड सुप्रीम कोर्ट जस्टिस श्री अशोक कुमार गांगुली और हालही में सुप्रीम कोर्ट जस्टिस श्री स्वतंत्र कुमार शामिल है।  इन सभी पर नये कानून कि धाराओं के अंतर्गत केस दर्ज हो चुके है।  जब इन जैसे प्रभावशाली और सक्षम लोगों को उनकी अपनी लम्बी चौड़ी सॉलिसिटर्स कि टीम के बावजूद जमानत तक नहीं हो सकी है, तो सोचिये आप और हम  जैसे साधारण नागरिको का क्या अंजाम होगा ?
   
                      आज देश का हर पुरुष, वह चाहे आम नागरिक हो, युवा विद्यार्थि  हो, या कोई आमदार हो,खासदार हो,मंत्री हो, पुलिस महकमे का छोटे से बड़ा पदाधिकारी हो, शस्त्र बलसे या केंद्रीय तथा राज्य सरकारी तंत्र से हो, यौन सम्बंधित इस नए कानून कि वजह से, अंदर से घोर चिंता से ग्रसित, एक अनजाने, अनकहे और असहनीय से डर  में या यूँ कहिये एक तरह के  डिप्रेशन में जी रहा है, भारत के पुरुष को एक अजीबसे सामाजिक असंतोष ने घेर लिया है , और यही नहीं उनसे जुडी हुई देश कि हर माँ,बहन, बेटी तथा पत्नी चिंता के अंधकार में डूबी हुई है, उनके दिलों में यह डर बस चूका है के कल को उनके बेटे,भाई, पिता तथा पति के साथ तो ऐसा घटित नहीं होगा ?  एक आम नागरिक के नाते मेरा यह मानना है, के यह नया कानूनी बदलाव भलेही मेरी बेटी के लिए सुरक्षितता भरा हो, किन्तु यही कानून न सिर्फ मेरे, बल्कि सारे भारत देश के बेटों के लिए उपयुक्त नहीं है।  क्योंकि हर वह स्त्री जो किसी पुरुषसे बदले कि भावना रखती हो, या ऐसीही किसी स्त्री को साधन बनाकर,कोई अन्य व्यक्ति या दल या राजनितिक षडयंत्र के चलते इस नए कानून के अंतर्गत यदि  किसी पुरुष पर आरोप जड़ दिए जाए, ऐसे पुरुष को इस देश का बड़े से बड़ा वकील,फिर वह चाहे श्री राम जेठमलानीजी  कि तरह धुरंधर ही क्यों न हो, ऐसे मिथ्या आरोपोसे बरी नहीं करा सकता।

               हमारे देश के कानून कि सदैव यहि मान्यता रही है, के " कानूनकी पकडसे भले ही सौ अपराधी क्यों न छूट जाए, लेकिन किसी  एक भी  निरपराधी को सजा नहीं होनी चाहिए।"  जबकि इस नए कानून के तहत हो सकता है के कुछएक वास्तविक अपराधी पकड़े जाए, किन्तु साथ ही साथ निश्चित ही अनगिनत निरपराधी भी धर लिए जायेंगे।

                     इस नये कानून के चलते  विकसित होने वाले प्रभावों को यदि  जाँचा जाए,  तो मुख्य रूप से दो पहलूओं पर सोचने कि आवश्यकता होगी, जिनमेंसे एक होगा नये कानून के अंतर्गत वास्तविक अपराधियों में फ़लित होनेवाले वाले कुप्रभाव के कारण, अपराधी बलात्कार जैसे घृणित कर्म करने  के बाद, सजा से बचने के लिए और इकलौते सबूत को मिटाने के लिए, पीड़िता कि हत्या करने जैसा जुर्म करने के लिए प्रवृत्त हो जाएगा। इसके विपरीत, अगर सजा पाने वाला, किसी षडयंत्रकारी का शिकार कोई  वास्तविक निर्दोष निरपराधी निकला, तो इस कड़े और एक तरफा न्याय दिलाने वाले कानून के अंतर्गत, कम से कम सात साल कि सजा के साथ,  जिसे आजीवन कारावास में भी  बदला जा सकता हो, बड़ी ही निष्ठुरता  के साथ जबरन सलाखों के पीछे पहुँचा दिया जाएगा। जिसके दुर्भाग्यपूर्ण प्रतिकूल परिणाम, न सिर्फ सजा पाने वाले ऐसे निरपराधी को, अपितु उससे सम्बंधित उसकी माँ, बहन, बेटी और पत्नी रूपी  हर स्त्री को भी भुगतने पड़ेंगे, जिसकी जिम्मेदारी उठाने के लिए, मानवता के आधार पर कानून में बदलाव करने वालों को आगे आना होगा। 
                  देश का हर संभ्रांत नागरिक, हर स्त्री को उसके प्रकृति स्वरुप जग-जननी माता के रूप में सदैव वंदन करता है, किन्तु वहीँ पर, देवों के देव महादेव स्वरुप पुरुष वर्ग  को यदि आघात पहुँचे तो इसका कड़े से कड़ा विरोध करना भी  उतनाही अनिवार्य है, और महादेव स्वरूपी पुरुष कि सुरक्षा के लिए  साक्षात प्रकृति माता के रूप में देश कि हर स्त्री को भी अवश्य साथ  देना  होगा।

        भारत के हर एक  पुरुष  नागरिक के  कानूनी अधिकारों को, और उनके  खोये हुए आत्म सम्मान को  पुनः स्थापित करने के लिए  तथा इस नए कानून को संशोधित करके समाज में स्त्री और पुरुष दोनों में  एक जैसी आत्म-सम्मान की भावना स्थापित करने के लिए, भारत देश के हरेक नागरिक से निवेदन है के, एकजुट होकर प्रचंड आंदोलन द्वारा नए कानून के अंतर्गत फैले  इस सामाजिक असंतोष का निर्मूलन करें । क्योंकि बीजेपी और आम आदमी पार्टी ने अपने षड्यंत्रकारी आँदोलन कि राजनीती द्वारा इस कानुनी बदलाव को देश की जनता पर लाद दिया है, जिसका  सिर्फ़ और सिर्फ़ कांग्रेस पार्टी कि विवेकपूर्ण राजनितीक पहल द्वारा ही, समाज में स्त्री और पुरुष दोनों में  एक जैसी आत्म-सम्मान की भावना स्थापित करने के लिए, समाधान कारक कानूनी संशोधन सम्भव है।


          जागो मेरे भारत देश के वासिओं, इससे पहले के देर हो जाये और भविष्य में  इसी  तरह घुटन और तड़प भरी सारी जिंदगी जीने पर विवश होना पड़े , इस  बीजेपी और आम आदमी पार्टी जैसी षड़यंत्र कारी पार्टियों को कड़ा विरोध दर्शाते हुए, अपनी आज़ादी को दर्ज कराने के लिए, तथा जल्दबाजी में बनाए  गए इस नए  कानून में बदलाव लाने के लिए और  पुरुषों के प्रति सामाजिक न्याय को पुनः स्थापित करने के लिए संशोधनयुक्त प्रस्ताव पारित कराने हेतु, भारत देश के नागरिकों को, फिर एक बार प्रचंड राष्ट्रव्यापी आंदोलन करना ही होगा।  विराट आंदोलन के रूप में कांग्रेस पार्टी के साथ एकजुट होकर, कांग्रेस कॉमन मैन की "राष्ट्रीय पुरुष आयोग  क्रान्ति " को सफल बनाए।           

                                                                 

 कांग्रेस कॉमन मैन के "राष्ट्रीय  पुरुष आयोग  क्रान्ति " का मुख्य उद्देश____

            National Commission for Men

        राष्ट्रीय पुरुष आयोग 

  •                    केंद्र कि सरकार एक ऐसे मण्डल का गठन करे जिसे पुरुषों के लिए राष्ट्रीय आयोग के नाम से जाना जाए, और जिसे इस अधिनियम के अंतर्गत  नियुक्त कार्यो को निभाने  के लिए कार्यालयीन  अधिकारों का इस्तेमाल प्राप्त हो और जिसे  उससे अनुषांगिक या प्रासंगिक मामलों के लिए उपलब्ध रखा जाए।   
  • पुरुषों को प्रभावित करने वाले संविधान और अन्य नियमों द्वारा प्राप्त वर्त्तमान प्रावधानों का अवलोकन करना, जिसमे मुख्य रूपसे CRIMINAL LAW ( AMENDMENT ) ACT,2013 और इस तरह के विधानोंमें व्याप्त किसी अंतर, अपर्याप्तता या दोषों में संशोधनों के लिए  प्रस्ताव एवं  सुधारात्मक वैधानिक कार्रवाइ के लिए अनुरोध करना।                      


              विशेष टिप्पणी :   भारत के सभी नागरिकों से विशेषत: सभी  युवा विद्यार्थियों से नम्र निवेदन है कि  उक्त विचार उचित लगने पर , अपने सारे  परिचितों , बंधू  तथा मित्रों में अवश्य प्रसारित  करें, तथा भारत के सच्चे मिडिया अधिकारी एवम प्रभारी  होने के नाते मानवता के आधार पर जनजागृती के लिए  इस लेख को प्रसरित करने का सत्कर्म अवश्य करे। कांग्रेस पार्टी के प्रभारियों से नम्र निवेदन है के कांग्रेस कॉमन मैन के इन प्रस्तुत विचारोँ को सारे देश भर में प्रसारण की व्यवस्था करें तथा दिल्ली के रामलीला मैदान में उचित व्यवस्था प्रदान करें ।  

हर करम अपना करेंगे, ऐ वतन तेरे लिए। 
दिल दिया है, जाँ  भी देंगे ऐ वतन तेरे लिए। 


                                                                     ॥ जय हिन्द ॥ 



          
इस विराट आंदोलन से जुड़ने के लिए __
कृपया लिंक  Link  करे  : ___


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1) Indian National Congress :- connect@inc.in
2) MRCC : mumbaicongress@gmail.com, 
3) MP Gurudas Kamat :  contact@gurudaskamat.com, gurudaskamat.mp@gmail.com
4) ABP News :  editor@abpnews.in