तो निःसंदेह इसका कारण यही है __
भारत देश के लिए ऊपरी तौर पर भले ही यह गर्व की बात प्रतीत होती है के CRIMINAL LAW (AMENDMENT) ACT , 2013 के अंतर्गत देश के महिला वर्ग को बेहतरीन सशक्तिकरण प्रदान किया गया, किन्तु यह भी उतना ही कड़वा सच है के इस नए कानून की गठन प्रक्रिया में महिलाओं को सशक्तिकरण प्रदान करने हेतु भारत के समस्त पुरुष वर्ग के न्याय पाने जैसे मौलिक अधिकारों और निर्धारित मानदंडों की अवहेलना की गयी। देश के पुरुष वर्ग पर इसका विपरीत और सामाजिक असंतोषयुक्त परिणाम दिखाई दे रहा है।
हमारी मांग यह कदापि नहीं है के इस नए यौन सम्बंधित कानून द्वारा दी गई महिलाओं की सुरक्षा किसी भी रूप में कम की जाए, अपितु हमारी मांग यह अवश्य है के महिलाओं की तरह पुरुषों को भी सशक्त कानूनी सुरक्षा प्राप्त होनी ही चाहिए !
सारे समाज में इस नए नए यौन सम्बंधित कानून का दुरुपयोग साफ़ दिखाई दे रहा है, जैसे आरोप जड़ते ही किसी भी पुरुष को एक जघन्य अपराधी के सामान कारावास में ठूँस देना जिसकी के जमानत भी न हो सके। और तो और जब मामला कोर्ट में पहुंचे तो ठोस सबूतों के स्वरुप आरोप दाखल करने वाली स्त्री का जज के सामने सिर्फ मौखिक बयान भर देने से आरोपी पुरुष को जज द्वारा अपराधी मानते हुए काम से कम सात साल कारावास जिसे आजीवन कारावास में ( उस पुरुष के आखरी सांस लेने तक ) बदला जा सकेगा, इस तरह का प्रावधान है।
भारत के समस्त नागरिक जानते है के कानून के आँखों पर पट्टी बंधी होती है, किन्तु वह इस लिए नहीं के कानून अँधा होता है, बल्कि इस लिए के कानून न्याय करते वख्त किसी गरीब- अमीर, जनता-नेता, छोटा-बड़ा या स्त्री- पुरुष इन सभी में भेद-भाव नहीं करता। किन्तु CRIMINAL LAW ( AMENDMENT) ACT,2013 के इस नए यौन सम्बंधित कानून में स्त्री और पुरुष मे भेद भाव (Gender Discrimination) रखा गया है जिससे अन्तर्गत अब से आगे अदालतों में सिर्फ और सिर्फ पुरुष पर ही अपराध सिद्ध किया जा सकेगा, और किसी भी स्त्री पर ऐसा कोई मुकद्दमा चलाया नहीं जा सकेगा। ( इससे यही साबित होता है के इस नए कानून के अंतर्गत भारत के हर पुरुष के लिए उपलब्ध न्याय पाने का मुलभुत अधिकार उससे छीन लिया गया है। )
भारतीय जनादेश पर आधारित, राष्ट्रीय पुरुष आयोग क्रांति के मुख्य उद्देश इस प्रकार है ___
- पुरुषों के संविधानिक और कानूनी सुरक्षा का पुनर्विचार ;
- सुधारात्मक वैधानिक कार्रवाइ अनुरोध
- शिकायतों के निरसन में सरलता और
- पुरुषो को प्रभावित करने वाले सभी मामलों की नीतियों पर सरकार को सुझाव देना।
केंद्र कि सरकार एक ऐसे मण्डल का गठन करें जिसे पुरुषों के लिए राष्ट्रीय आयोग के नाम से जाना जाए, और जिसे इस अधिनियम के अंतर्गत नियुक्त कार्यो को निभाने के लिए कार्यालयीन अधिकारों का इस्तेमाल प्राप्त हो और जिसे उससे अनुषांगिक या प्रासंगिक मामलों के लिए उपलब्ध रखा जाए।
पुरुषों को प्रभावित करने वाले संविधान और अन्य नियमों द्वारा प्राप्त वर्त्तमान प्रावधानों का अवलोकन करना, जिसमे मुख्य रूपसे CRIMINAL LAW ( AMENDMENT ) ACT,2013 और इस तरह के विधानोंमें व्याप्त किसी अंतर, अपर्याप्तता या दोषों में संशोधनों के लिए प्रस्ताव एवं सुधारात्मक वैधानिक कार्रवाइ के लिए अनुरोध करना।
विशेष टिप्पणी :
भारत के सभी नागरिकों से, विशेष कर देश के युवा वर्ग से युक्त विद्यार्थियोंसे यह नम्र निवेदन है समाज के प्रति उत्तरदायित्व निभाते हुए आप इस विराट क्रांति के सदस्य बनें तथा इस सन्देश को 'शेयर' करें। भारत के सच्चे मिडिया अधिकारी एवम प्रभारी होने के नाते मानवता के आधार पर जनजागृती के लिए इस लेख को प्रसरित करने का सत्कर्म अवश्य करे। कांग्रेस पार्टी के प्रभारियों से नम्र निवेदन है के कांग्रेस कॉमन मैन के इन प्रस्तुत विचारोँ को सारे देश भर में प्रसारण की व्यवस्था करें।
राष्ट्रीय पुरुष आयोग क्रांति से जुड़ने के लिए कृपया लिंक करें ____
https://www.facebook.com/events/845181395500191/
http://www.ncm.net.in/
http://www.ncm.net.in/
प्रस्तावना : कृष्णकान्त नं. ब्रह्मानन्द।
कांग्रेसी आम आदमी। Congress Common Man.
अंधेरी पूर्व ,मुंबई - ४०००६९.
॥ सत्यम शिवम् सुंदरम !॥
No comments:
Post a Comment